Tuesday, 28 December 2010

मानसरोवर से आये एक मेहमान से मुलाक़ात!

इन दिनों इलाहाबाद के संगम और वाराणसी में गंगा में हजारो की संख्या में प्रवासी पक्षी घोमरा (Larus brunicephalus ) डेरा डाले हुए हैं और इन्हें पर्यटक चारा भी खिलाने में मशगूल दिख रहे हैं .बल्कि सैलानियों के लिए ये आकर्षण का केंद्र बन गए हैं -आवाज देने पर झुण्ड के झुण्ड बिल्कुल पास आकर चारा झपट लेते हैं -हवाई करतब दिखाते हुए या फिर पानी की सतह पर झपट्टा मारकर .इनकी बोली काफी तेज, कर्कश है .पर्यटकों को चारे के रूप में लाई ,सस्ती नमकीन बेंचकर कुछ्का अच्छा धंधा भी चल पडा है .

मगर आश्चर्य यह है कि अखबारों में इनकी चित्ताकर्षक फोटो तो छप रही है ,ये वी आई पीज के लिए कौतुहल के विषय भी बन रहे हैं (सामान्य जानकारी से जो जितना ही रहित है भारत में वही सबसे बड़ा वी आई पी है :) ) मगर इनकी सही पहचान के बजाय तरह तरह के कयास ही लगाए जा रहे हैं -कोई कहता है कि ये साईबेरिया से आये फला पक्षी हैं तो कोई और कुछ ...दरअसल ये 'गल' की एक प्रजाति है -ब्राउन  हेडेड गल यानि सफ़ेद सिरी गल -हिन्दी में धोमरा या घोमरा .अब इसे शुभ्र सफ़ेद सिर के बजाय ब्राउन हेडेड क्यों कहते हैं कोई भाषा विद अच्छी तरह बता सकता है -शायद अंगरेजी में ब्राउन और सफ़ेद बालों का कोई भाषाई फर्क न हो!


गल की यह प्रजाति वैसे तो समुद्र के तटों ,बंदरगाहों पर मछलीमार बड़ी नौकायों के पीछे दिखती है मगर बड़ी नदियों में भी इनकी अच्छी खासी तादाद जाड़ों में दिखती है .ये प्रवासी पक्षी हैं ,जाड़ों में अक्टोबर माह तक लद्दाख और तिब्बत ,मानसरोवर और आसपास के झीलों जहां ये घोसला बनाती हैं उड़कर भरात की तमाम नदियों और समुद्र तटों तक आ पहुँचती हैं -इनकी एक काले सिरों वाली प्रजाति भी है जो इधर इक्का दुक्का ही दिखती है .सालिम अली जहाँ इनका मूल आवास तिब्बत और आस पास बताते हैं एक दूसरे पक्षीविद सुरेश सिंह ने अपनी पुस्तक भारतीय पक्षी में इन्हें यूरोपीय देशों का मूलवासी बताया है -यह खोज का विषय है -लगता तो यह है कि इनकी दो तीन नसले हैं जिन्होंने तिब्बत और यूरोपीय देशों में बसेरा  कर रखा है.



देखने में मनोहारी इन पक्षियों की आँखें सबसे खूबसूरत हैं और बड़े मासूम से दिखते हैं ये .अभी कल ही जब हम गंगा में नौकायन कर रहे थे-नाविक ने हाथ से ही एक को धर लिया -मैंने भी थोड़ी देर इन्हें दुलारा,पुचकारा फिर मुक्त कर दिया .जां की अमान पाते ही यह एक लम्बी उडान भरती हुई सुदूर क्षितिज में विलीन हो गयी .नाविक ने बताया कि यह जल्दी ही फिर अपने झुण्ड मेंआ  मिलगी ..उसे तब शायद अपने मानव मुठभेड़ की याद भी  न रहे ...चिड़ियों की याददाश्त भला ज्यादा थोड़े ही होती होगी -यह तो मनुष्यों की थाती है जो अच्छी  बुरी  घटनाओं के  पुलिंदे सहेज कर रखती है - दूसरों की कृतघ्नताएँ हम भूल पाते हैं भला !पक्षी ही भले हैं इस मामले में .
बहरहाल कुछ चित्र और यदि लोड हो सका तो एक वीडियो भी देखिये  इन मासूम पक्षियों से मेरी मुलाकात का और हाँ अब इन्हें पहचाने की भूल मत करिएगा !

22 comments:

समय चक्र said...

घोमरा प्रवासी पक्षी के बारे में बढ़िया जानकारी दी हैं ... ये सीजन प्रवासी पक्षियों के उपयुक्त होता है ... इस समय जबलपुर के बुढागर तालाब में काफी संख्या में प्रवासी पक्षी डेरा डाले हुए हैं ... स्थानीय निवासी उन्हें भोजन की व्यवस्था कराते है और उनकी सुरक्षा भी करते हैं ... कोई बाहरी व्यक्ति उन्हें पत्थर फैक कर नहीं मार सकता है .... आभार

अन्तर सोहिल said...

बढिया जानकारी धन्यवाद

प्रणाम

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़े प्यारे और सुन्दर पंछी। जिस आत्मीयता से आपकी गोद में बैठे हैं, लगता है आपसे ही मिलने का प्रायोजन होगा।

Ghost Buster said...

बहुत सुन्दर. हम भी अभी हाल ही में इनसे मिलकर लौटे हैं प्रयाग में. इसी २४ को. एक वीडियो क्लिप देखें:

http://www.youtube.com/watch?v=GN1Iln5N9ps

नाम नहीं पता था इन प्यारे पक्षियों का, आप से पता चला.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत अच्छी जानकारी ..

Arvind Mishra said...

प्रिय मित्र प्रेत विनाशक ,
इनकी सही पहचान ही पोस्ट लिखने का मुख्य मकसद था ....आपका वीडियो भी बहुत अच्छा है -बिल्कुल यही पक्षी हैं ! और कहाँ हैं इन दिनों ? नववर्ष की शुभकामनाएं लेते जायं -क्या पता फिर से अछन्न न हो जायं -प्रेत योनि का क्या पता :)

ManPreet Kaur said...

i like the bird...

Lyrics Mantra

माधव( Madhav) said...

the pis is very heart rendering

डॉ. मनोज मिश्र said...

रोचक जानकारी,अभी तक हम लोंगों को यही पता था कि ये साइबेरियन हैं.

अजय कुमार झा said...

अरे वाह सर इन मेहमानों की मासूमियत और खूबसूरती पर तो निसार जाऊं ..बहुत बढिया रही ये मुलाकात ..वाया आपके हमारी भी

मेरा नया ठिकाना

Darshan Lal Baweja said...

बढिया जानकारी धन्यवाद

प्रणाम

अभिषेक मिश्र said...

इन प्रवासी मेहमानों का स्वागत.

राज भाटिय़ा said...

सच मै यह पक्षी शरीफ़ लगा, बहुत सुंदर,स्विस मे हमारे हाथ पर कोवे बेठ कर दाना चुगते थे, लेकिन बच्चो के हाथ पर नही बेठते थे, यानि यह पक्षी भी बहुत सयाने होते हे, इन्हे पता होता हे कोन इन्हे पकड ले गा ओर कोन नही, बहुत सुंदर चित्र जी धन्यवाद

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

अच्छी लगी यह पोस्ट।
@ ...चिड़ियों की याददाश्त भला ज्यादा थोड़े ही होती होगी -यह तो मनुष्यों की थाती है जो अच्छी बुरी घटनाओं के पुलिंदे सहेज कर रखती है - दूसरों की कृतघ्नताएँ हम भूल पाते हैं भला !

कृतज्ञता भी नहीं भूलना चाहिए।
प्रेमचन्द याद आ गए।

सालिम अली या सलीम अली?

वाणी गीत said...

घोमरा को जानना बहुत अच्छा लगा ...

दूसरों की कृतघ्नताएँ हम भूल पाते हैं भला !पक्षी ही भले हैं इस मामले में...
सही है !

Arvind Mishra said...

@गिरिजेश जी ,
विद्वत आर्यजन जन उन्हें सालिम अली ही कहते हैं न जाने क्यूं ?
कृतज्ञता भी भला याद करने की चीज है वह तो खुद ब खुद याद रहती है :) है कि नहीं ?

mukti said...

घोमरा के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद. और उसको पकडकर वीडियो काहे बनाए महाराज. मासूम पक्षी पर अत्याचार :(

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत प्‍यारा है यह घोमरा। अच्‍छा लगा इससे मिलना।

---------
साइंस फिक्‍शन और परीकथा का समुच्‍चय।
क्‍या फलों में भी औषधीय गुण होता है?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

शिकार भी खूब होने लगा है इन प्रवासियों का...

Khushdeep Sehgal said...

सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

जय हिंद...

P.N. Subramanian said...

इन्हें तो देखा है. सी गल के नाम से जनता था. अब हिंदी नाम भी मालूम हुआ. बड़े मासूम होते हैं. लगता है इन्हें इंसानों से डर नहीं लगता.

निर्मला कपिला said...

सुन्दर पक्षी। अच्छी जानकारी। धन्यवाद।