कामनवेल्थ खेल -२०१० का शुभंकर एक बाघ का शावक है जिसे शेरा नामकरण मिला है -यह नामकरण उसी महाभूल का परिणाम है जिसके चलते यहाँ शेर और बाघ में देश की अधिकाँश जानता अपने देश के इन बिलावों की सही पहचान नहीं कर पाती -पर दोष उनका नहीं है दोष हमारे संचार तंत्र और शीर्ष पर बैठे करता धर्ताओं का है जिन्हें शायद खुद शेर और बाघ का फर्क नहीं पता ..फिर अक्षम्य भूल हो रही है और बाघ के बच्चे को शेरा नाम देकर शेर और बाघ के पहचान को भ्रामक बनाया जा रहा है -गनीमत बस इतनी है कि टाईगर के बच्चे को चीता नहीं कह दिया गया जैसा कि अभी कई समाचार पत्र अपनी रिपोर्टों में पकड़ी गयी बाघ की खाल को चीते का खाल लिख देते हैं .ऐसे ही मीडिया के माहानुभावों ने तमिल टाईगर्स का नुवाद तमिल चीते कर डाला जो अब रूढ़ हो गया है जबकि सही अनुवाद होना था तमिल व्याघ्र .
चेहरा मोहरा बाघ का और नाम शेरा ?
कामनवेल्थ के व्याघ्र शावक शुभंकर के शेरा नामकरण से फिर ऐसी भ्रम पूर्ण स्थिति उत्पन्न होने जा रही है ..शेरा नाम ही रखना था तो भारत में लुप्त हो रहे एशियाई सिंह के शावक को ही लाईम लाईट में लाते -उसे शेरा कहते तो फिर कोई बात न थी ...मेरी सम्बन्धित लोगों से पुरजोर है कि इस नाम को बदल कर कोई और नाम रख लें क्योंकि अब शुभंकर तो बदलना अशुभ हो जायेगा और यह संभव भी नहीं है फिर किसी दूसरे नाम की तलाश यथाशीघ्र हो जानी चाहिए ..
मुझे दुःख है कि सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा बाघ को बचाए जाने के कार्य की समीक्षा हो रही है तो फिर यह चेहरा और बाघ का और नाम शेर का गड़बड़झाला क्यों ? आम जनता तो इससे भ्रमित ही होगी!
क्या आप शेरा के स्थान पर कोई नया नाम सुझायेगें ? बाघा.... बाघू .....या फिर एकदम से अलग कोई नाम ...
आभार :प्रियेषा मिश्रा ,दिल्ली विश्वविद्यालय जिन्होंने मेरा ध्यान इस विसंगति की ओर आकर्षित किया
13 comments:
नाम तो शेरा ही ठीक है. हाँ शावक की दाढ़ी हटा दी जावे. यह काम ताऊ कर सकता है.
दोष हमारे संचार तंत्र और शीर्ष पर बैठे करता धर्ताओं का है जिन्हें शायद खुद शेर और बाघ का फर्क नहीं पता ..
एक दम सही कहा आपने ...
बात में वजन है।
इसका नाम होना चाहिये था- बाघा।
बहुत सही बात कही है यह ...पर जो हालत कामनवेल्थ के बने हुए हैं इसकी तैयारी को ले कर ...तो खिसयानी बिल्ली नाम में न बदल जाए यह नाम :)
कैसे कैसे शेरू?
बात मे सही मे दम है। जब हमारे नेताओं को आदेअमी और जानवर मे ही फर्क पता नही चलता आदमी से जानवरों जैसा व्यवहार करते हैं तो शेर भाघ तो फिर भी कुछ समानता रखते हैं। शुभकामनायें।
लेकिन क्या कोई इस भूल को सुधारने का कदम भी उठाएगा।
सही कहा
सही बात !!!
बघवा कैसा रहेगा ?
sahi baat hai bhai ji....
आश्चर्य है की इतनी महत्वपूर्ण पोस्ट पर ध्यान नहीं गया ! शर्मनाक भूल ....एक पत्र इस विषय पर आप खेल्मंत्रालय को अवश्य लिखें मुझे लगता है संज्ञान में आना बहुत आवश्यक है !
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