आईसलैंड का एक ज्वालामुखी ईजाफज्जल्लाजोकुल्ल (Eyjafjallajokull) -(अजीब नाम है,लगता है अल्लाह का सबसे प्यारा ज्वालामुखी है !) के फटने से कई यूरोपीय देश इससे निकलने वाले गर्द गुबार (ऐश -धुयें ) में डूब गए हैं -जिससे हवाई यातायात की कमर ही टूट गयी है -विदेश यात्रा पर गए हमारे प्रधानमन्त्री को रास्ता बदल कर आने को मजबूर होना पडा है .इसे ९/११ की घटना के बाद हवाई यातायात की सबसे बड़ी रुकावट के रूप में देखा जा रहा है -यूरोप के सभी देशों ने अपनी उड़ाने रद्द कर दी हैं -करीब ९ अरब डालर प्रतिदिन के नुकसान की आशंका है .बहुत से यात्री बीच में फंसे हुए हैं और सहायता की गुहार लगा रहे हैं! बी बी सी की इस रिपोर्ट के वीडियो में गर्द और गुबार की आंधी को तो देखिये !
यह ज्वालामुखी अभी पिछले माह ही सक्रिय हुआ है और भरी मात्रा में गर्द गुबार वातावरण में छोड़ रहा है .यह एक ग्लेशिअर का ज्वालामुखी है जिसके सक्रिय हो जाने के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं और भयानक बाढ़ की आशंका भी उत्पन्न हो गयी है .इस गर्द गुबार में सिलिका -शीशा के तिनके हैं जो वायुयानों के इंजन को भारी नुक्सान पंहुचा सकते हैं -उनमें विस्फोट तक कर सकते हैं -विंड स्क्रीन को धूसर कर सकते हैं -ऐसा कहना है यूनिवर्सिटी कालेज सेंटर लंदन के हजार्ड रिसर्च सेंटर के बिल मैक्क्ग्येरे का जो इस विषय के विशेषज्ञ हैं .
नार्वे,स्वीडन ,फिनलैंड और डेनमार्क की सभी ४००० उड़ाने तो पहले ही रद की जा चुकी थीं अब और दूसरे यूरोपीय देशों -फ्रांस स्पेन आदि ने भी अपनी उड़ाने बंद करने का फैसला लिया है .एअर इण्डिया ने भी अपनी कई यूरोपीय उड़ाने रद कर दी हैं .कहा जा रहा है यह स्थिति अभी कम से कम एक सप्ताह तक तो रहेगी ही .एयर इंडिया ने यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लिए अपने सभी उड़ानों को रद्द करने की अधिकारिक घोषणा आज यहां की। दिल्ली और मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विमान से यात्रा करने वाले हजारों घरेलू और विदेशी यात्री प्रभावित हुए हैं।ब्रिटेन के प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद् का एक वैज्ञानिक दल अपनी जांन जोखिम में डाल कर डोनियर २२८ के हवाई सर्वेक्षण के जरिये इस गुबार के अध्ययन में जुट गया है -नतीजे वायुयान यात्राओं को बहाल करने में मददगार हो सकते हैं .
यह सब तो किसी पर्यावरणीय आतंकवाद से कम नहीं लगता -सोचिये जरा अगर आतंकवादी इन कुदरती कारकों को किसी तरह सक्रिय करने में सफल हो जायं तो कितना बड़ा कुहराम मच सकता है ..इस ओर भी सजग निगाह होनी चाहिए !
धुयें का एक दृश्य यहाँ पर है!
ज्वालामुखी विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर पीटर सम्मंड यहाँ ऐसे ज्वालामुखियों के विस्फोट का विज्ञान समझा रहे हैं !
13 comments:
कई दिनों से इस खबर को मॉनिटर कर रहा हूँ। अल्ला के बन्दों से यूरोप वैसे ही परेशाँ था, बस इसी की कमी थी।
यह सब देख के कहना पड़ता है सारे जहाँ से अच्छी 'गोबर पट्टी' हमारी लेकिन हम लोगों ने तो इसकी खुद ही ऐसी तैसी कर रखी है। सम्मान और अनुशासन भाव हम लोगों में है ही नहीं।
यह तो गनीमत है कि यह नितांत प्राकृतिक आपदा है। पर इस तरह की आपदाओं के लिए स्वय़ं मनुष्य जो कारक तैयार कर रहा है उन का क्या। आज कोटा का तापमान 46 से ऊपर चला गया है।
दादा बहुत सूचना परक जानकारी से सराबोर पोस्ट बधाईया
जै हो जै हो
Natural calamities scare me.
अर्विंद जी, बहुत् सुंदर लिखा, वेसे ऎसा नही कि सारे युरोप के इस का गुबार छाया है, ओर कोहराम मचा हो, यहां सभी उड्डाने शुकरवार से बंद है, ओर आप माने या ना माने अब बहुत शांति लगती है, पहले आसमान पर जहाजो की सफ़ेद लाईने ही लाईनेदिखती थी, ओर अब कोई भी जहाज नही दिखता, सरकार को तो नुकसान हो रहा है लेकिन जनता बहुत खुश है, ओर हां इस प्राकृतिक आपदा से यहां रहने वालो के जीवन मै कोई परिबर्तन नही हुआ, कोई पुजा पाठ नही, टी वी पर कोई डरावना समचार नही, इस प्राकृतिक आपदा को हम सब वेसे ही ले रहे है जेसे आम घटना होती हो
प्रकृति का एक और भयावह रूप...ऐसी खबर से दिल दहल जाता है..भगवान खैर करे बाकी ग्रसित लोगो का..
प्रकृति के आगे किसी का वश नहीं चलता .. पर प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में तो हमारा वश है .. पर वो भी हम नहीं कर रहे .. इसकी सजा तो हमे भुगतनी ही होगी !!
मानव जब प्रकृति से खिलवाड़ करेगा तो ऐसी विपदाएं आना अवश्य संभावी हैं ..प्रकृति तो अपना संतुलन स्वयं कर लेती है....अब सोचना ये हैं कि मनुष्य कब इस ओर ध्यान देते हैं....
अच्छी जानकारी देती हुई अच्छी पोस्ट
कैसी कैसी विपदायें ।
प्राकृतिक आपदायें हमारी बुलाई ही हैं...तो क्या कहें.
भयावह .
बहुत ही अच्छी तरह से आप ने समझा कर इस के बारे में बताया है . ..
जो लोग खबरें सुन रहे हैं मगर समझ नहीं रहे ..उन्हें पढना चाहिये यह लेख .
सामायिक लेख .
ये पर्यावरणीय आतंकवाद ही है. आपने अन्त में जो दो लाइनें कही हैं, इसी संभावना पर हॉलीवुड में कई फ़िल्में बनी हैं. उड़ानों के रद्द होने की खबरें तो लगातार समाचार में पढ़-सुन रही हूँ, पर ये नहीं मालूम था कि ज्वालामुखी के इस धुँये में व्याप्त सीसा आदि के कारण वायुयानों के इंजन को खतरा है. ये बात यहीं से पता चली. ज्ञानवर्धन के लिये धन्यवाद !
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