Wednesday, 7 October 2009

क्या आप बता सकते हैं कि.....

क्या आप बता सकते हैं कि हिरन और मृग में क्या अंतर है ? या फिर उत्तरप्रदेश का राज्य पशु और पक्षी क्या है ? घड़ियाल और मगरमच्छ में क्या अंतर है ? या कौन सा पक्षी है जो अपने पंखों से ही पतवारों का काम लेकर तैरता भी है ? सवाल दर सवाल मगर सब के सही जवाब ! और उत्तर बड़े बूढों ने नहीं दिए बल्कि बच्चों ने उमग उमग कर ये उत्तर दिए -मन  बाग बाग हो गया ! अवसर था चौवन्वे वन्य जीव सप्ताह (१-७ नवम्बर ) के समापन आयोजन का ! जो आज वन विभाग के सौजन्य सारनाथ के मृगदाव पार्क में सम्पन्न हुआ !





                          वाराणसी वृत्त के वन संरक्षक श्री आर एस हेमंत कुमारके साथ मैं
अपने देश में नई पीढी अब जीव जंतुओं की जानकारी के प्रति चैतन्य हो रही है -यह सचमुच बहुत ही सुखद है ! आज वन्य जीवों की जानकारी की ओर बच्चों की रुझान बढ़ने के लिए कई कार्यक्रम /प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं जिनमे वन्य जीवन पर चित्रकारी .,निबंध प्रतियोगिता ,भाषण आदि प्रमुख रहे ! मैं इस अवसर पर उपस्थित होकर धय्न्य हुआ -आज का पूरा दिन वहीं बीता ! प्रभागीय वनाधिकारी (डिविजनल फारेस्ट ऑफीसर ) श्री लालाराम बैरवा (आई ऍफ़ एस ) ने कल ही मेरी वन्य जीवों की अभिरुचि को लक्ष्य कर आज के कार्यक्रम में निमंत्रित किया था ! वाराणसी वृत्त के वन संरक्षक श्री आर एस हेमंत कुमार जो मूलतः आंध्र  प्रदेश के हैं  और उत्तर प्रदेश कैडर के सीनियर आई ऍफ़ एस हैं मुख्य अतिथि रहे -विनम्र ऐसे कि मुझसे तब तक  मुख्य अतिथि बनने और उस विशिष्ट्तम  कुर्सी पर बैठने का आग्रह करते रहे जब तक कि मैंने किंचित बल  से ही उन्हें उस कुर्सी पर आसीन नहीं करा दिया ! वे ही उसके सर्वथा योग्य भी थ .कार्यक्रम का सञ्चालन श्री ओ पी गुप्ता उप संभागीय वनाधिकारी ने किया ! श्री आर एस यादव रेंज आफीसर ने कार्यक्रमों का संयोजन किया !


 कार्यक्रम में बच्चों ने ही नहीं बच्चियों ने भी बढ़ चढ़  कर हिस्सा लिया

हमने कार्यक्रमों के औपचारिक समापन के बाद वन्य वशुओं का पालतू बाद भी देखा और उन्हें कुछ खिलाया  भी ! नीचे  चित्र देखिये इसमें आगे की ओर तो कृष्ण मृग है (ब्लैक बग -antelope ) और पीछे चीतल, जो हिरन (deer )  है !  जान लें कि जो हर साल सींगे गिरा देता है वह हिरन है और जो जीवन एक ही सींग से गुजर देता है वह मृग -बच्चों को भी बता देगें यह प्लीज ! और हाँ उत्तर प्रदेश का राज्य पशु बारहसिंगा (हिरन ) है-

और पक्षी सारस यानि क्रौंच  (crane ) ! (पहले जानते रहे इसे ? खैर कोई बात नहीं इस बार के वन्य पश्य सप्ताह पर ही जान लें ! ) घडियाल की लम्बी थूथन होती है जिस के सिरे पर एक घरिया (एक तरह का छोटा मिट्टी का पात्र ) नुमा रचना होती है जबकि मगर का थूथन तिकोना लिए होता है ! और पेंग्विने अपने डैनों से तैरती हैं ! कोयल और पपीहा नीड़ परिजीवी हैं यानि घोसला नहीं बनाती बल्कि दूसरे के घोसले में अंडे पारती हैं -कोयल कौए के और पपीहा सतबहनी (बैबलर ) के ....इन क्विज का जवाब बच्चे बेलौस देते गए और मुख्य अतिथि से  इनाम झटकते गए .





आप भी भारतीय वन्य जीवन से बच्चों को अवगत करने का सिलसिला शुरू करे ! इस वन्य जीव सप्ताह पर यही आह्वान है !

18 comments:

डॉ टी एस दराल said...

बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी.
वन्य जीव हमारी धरोहर हैं.
बड़ी ख़ुशी की बात है की आज की युवा पीढी में वन्य जीवन के प्रति जागरूकता है.
इस सुन्दर लेख के लिए आभार.

P.N. Subramanian said...

बहुत अच्छा लगा यह जानकार की आजकल के बच्चे काफी जानकार हो गए है एकाध बातों में तो हम भी फेल ही थे.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर जानकारी के लिए धन्यवाद.

Udan Tashtari said...

सार्थक एवं अच्छा प्रयास. आपके आह्वान को याद रखा जायेगा और कोशिश की जायेगी..

दिनेशराय द्विवेदी said...

जानकारियों का नवीकरण हुआ। अच्छी चिट्ठी।

Abhishek Ojha said...

अच्छा हुआ आपने पहली नहीं बनाई नहीं तो मैं तो उल्टे पाँव भाग लेता :)

Chandan Kumar Jha said...

बहुत ही बढ़िया आलेख ।

Himanshu Pandey said...

वन्यजीव सप्ताह पर आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों से पूछे सवाल उनकी प्रतिभा का परिचय देते हैं ।

आपकी उपस्थिति अच्छी लग रही है वहाँ । अपना वहाँ दिया वक्तव्य भी लगा देते तो बेहतर था । आभार ।

ताऊ रामपुरिया said...

हमेशा की तरह बहुत बढिया आलेख.

रामराम.

seema gupta said...

वन्य जीव की सुरक्षा पर आधारित इस सार्थक प्रयास पर बधाई, ऐसे आयोजन और प्रयास सरहाना के पात्र हैं...आभार इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए

regards

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत सुंदर प्रयास है। ऐसे प्रयासों से ही हम अपने जीव जन्तुओं के बारे में बेहतर जानकारी दे सकते हैं।

संजय बेंगाणी said...

सार्थक प्रयास पर बधाई. हिरण और मृग का अंतर पता चला. मैं हिरण का प्रयायवाची मृग होता है, ऐसा मान रहा था.

अजय कुमार झा said...

बहुत ही कमाल की जानकारी से भरी हुई रिपोर्टनुमा पोस्ट पढ के मजा आ गया मिसर जी..बहुत खूब..वन्य जीवन पर आजकल सचमुच ही जानकारी का अभाव हो गया है..

तीखी बात said...

apna prchar kar rahe ho bhai ?kyu?

Arvind Mishra said...

@तो क्या अपने ब्लॉग पर मैं आपका प्रचार करुँ भाई मेरे ? हा हा हा ! वैसे मैंने पॉइंट नोट कर लिया है आप का !

अनिल कान्त said...

बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी
बहुत अच्छा लगा ये देख कर की कुछ लोग ज्ञान भी बाँट रहे हैं

Alpana Verma said...

कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली.ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिये.
राज्यों के पशु और पक्षी भी होते हैं यह शायद बहुतों को मालूम भी नहीं होगा..:)

वन्य जीवन /जीव जंतुओं के बारे में बच्चों ने सर्वाधिक सही जवाब दिए जानकार ख़ुशी हुई..वे ही तो भविष्य की नींव हैं.

वन्य जीव सप्ताह अपने लक्ष्य को प्राप्त करे-शुभकामनाएं.

Ashutosh said...

बहुत ही सार्थक प्रयास है.
हिन्दीकुंज