Sunday 4 October 2009

वैज्ञानिकों ने जाना चिर युवा होने का राज !

अखबारों में  यह खबर सुर्खियों में है ! कभी च्यवन ऋषि ने चिर युवा बने रहने का नुस्खा हासिल किया था च्यवनप्राश के रूप में ! मगर आज का च्यवनप्राश मानकों पर खरा नहीं उतरता ! उम्र की ढलान को रोकने के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिक कब से लगे हुए हैं -नए नए नुस्खों और माजूमों के साथ ! नित नई नई पेशकशें ! और अब यह -

वैज्ञानिकों का नया दावा है कि है कि बढ़ती आयु और आयु संबंधी बीमारियों का उपचार संभव है। हाल ही में चूहों व बंदरों पर किए गए शोध में वैज्ञानिकों ने जीवनकाल बढ़ाने के तरीके को खोज निकाला है। इससे इंसान लंबे समय तक युवा रह सकेगा।


यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के इंस्टीट्यूट आफ हेल्दी एजिंग के वैज्ञानिकों ने मानव जींस 'एस6 कायिनेज 1' [एस6के1] में हेरफेर कर उम्र बढ़ाने वाले प्रोटीन के उत्पादन को रोके रहने में सफलता पायी है । चूहों पर किये गए प्रयोगों में शोधकर्ताओं   ने यह भी पाया है कि  कैलोरी खपत की मात्रा को 30 प्रतिशत तक घटाकर जीवनकाल को 40 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। अमेरिकी पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक एस6के उत्पादन को रोककर भी यही फायदे हासिल किए जा सकते हैं। इसके लिए आहार  में कमी करने की कोई जरूरत नहीं। एस6के1 भोजन में बदलाव के बारे में शरीर की प्रतिक्रिया निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता है।



देखा गया की ऐसे चूहों जिन के जीन में वांछित बदलाव कर दिए गए थे अन्य चूहों से २० फीसदी अधिक काल तक जिए -वे कुल ९५० दिन जिए आम चूहों से १६० दिन अधिक ! इन चूहों में टाईप २ मधुमेह जैसी बीमारियां भी नहीं हुईं ! उनकी  टी कोशिकाएं जो रोगरोधी होती हैं भी तरोताजा देखी गयीं -मतलब उम्र के बढ़ने  के साथ मनुष्य की रोग रोधन क्षमता का ह्रास होना भी इस अध्ययन से प्रमाणित हुआ है !वेलकम ट्रस्ट द्वारा पोषित इस अध्ययन से जुड़े डेविड जेम्स का कहना है की "इस अध्यन से हम उम्र की बढ़त को रोकने का सहसा ही एक कारगर नुस्खा पा गए हैं ! चूहों पर इस शिद्ध के बाद मेटफोमिन नामक दवा का ट्रायल अब मनुष्य पर किया जाएगा ! रापामायासिन  भी सामान प्रभावों वाले औषधि के रूप में देखी जा रही है !



 

11 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

उम्र बढ़ने की चाहत हमेशा से रही है। इस का लाभ कीमियागरों ने उठाया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शोध भी इस चाहत से उत्पन्न बाजार का लाभ उठाने के लिए की जा रही कीमियागरी न हो। हाँ जब तक मनुष्य रहे स्वस्थ, सुंदर और कामकाजी बना रहे ऐसी औषध जरूर चाहिए।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया जानकारी है. पर ऐसा देखा गया है कि इस तरह के शोध परिणाम दवा बनाने वाले बडे ताऊओं द्वारा प्रभावित रहते हैं.

रामराम.

Anil Pusadkar said...

खबर तो अच्छी है मगर पुष्ट होते-होते पूरी उम्र ही न गुज़र जाये।मनुष्यो पर ट्रायल के नतीजे क्या कहते है,देखें।

निर्मला कपिला said...

हमे तो ऐसी औशदी चाहिये जो हमारा बचपन वापिस लौटा दे और फिर कभी बडे न हों। मिश्रा जी हमारी फरमाईश भी वैग्यानिकों तक पहुँचा दें । धन्यवाद्

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

अरविन्द जी, अगर आप कुदरत पर विस्वास करते है तो यह मानकर चलिए कि कुदरत भी उससे पहले इसका कोई ना कोई जबाब पेश कर देगी, क्या पता शायद २०१२ की भविष्य बाँई ही सही साबित हो जाए ?????

रंजू भाटिया said...

इतना जी कर क्या करेंगे :) देखते हैं आगे आगे क्या क्या खोज कर निकालेंगे .आभार इस जानकारी के लिए

P.N. Subramanian said...

इस विस्तृत विवरण के लिए आभार.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नित नए आविष्कार, विज्ञान को नमस्कार।
Think Scientific Act Scientific

Alpana Verma said...

एक और अमरत्व के लिए प्रयास और अब युवा बने रहने के लिए दवा भी!
क्या स्थिति होगी भविष्य में इस धरती लोक की!!!!!!
shubhkamanyeN!

Himanshu Pandey said...

यह कीमियागिरी भारी भी पड़ती रही है मनुष्यता के लिये ।

विज्ञान का नित नवीन संधान प्रसंशनीय है, प्रकृति के अनुकूल ।

राज भाटिय़ा said...

हमारे यहां लोग लम्बी उम्र जीते है लेकिन किस हाल मै.... नही ऎसी लम्बी उम्र नही चाहिये, यहां सभी कहते है, ओर मै भी.