
तीतरों और बटेरों की कुछ प्रजातियों में तीतरों की एक प्रजाति सेज ग्राउस में मादा से संसर्ग की इतनी होड़ होती है बस केवल कुछ हर दृष्टि से सक्षम नर ही अपनी मुहीम में कामयाब हो पाते हैं -एक प्रेक्षण में पाया गया कि ४०० नरों में से केवल चार ही स्वयम्बर की इच्छुक ७४ फीसदी मादाओं से घनिष्ठ हो गए -बाकी सब के सब महज २६ प्रतिशत पर कामयाब हो पाये ! मतलब प्रणय शूरमा निकले केवल चार !
प्रणय रत नर मादा सेज ग्राउस
आस्ट्रेलिया की लम्बी पूंछो वाली लायिर बर्ड का नर तीन फिट के लगभग दस गीली मिट्टी के प्रणय घरौदें (love mounds ) बनाता है और अपने प्रणय याचन की विभिन्न भाव भंगिमाओं से मादा को रिझा लेता है !

इसी तरह बर्ड आफ पैराडाईज घने जंगलों में जहाँ सूरज का प्रकाश तक नही पहुँचता जमीन के छोटे छोटे स्थलों की साफ़ सफाई करके अभिसार /स्वयम्बर मंच बनाते हैं और फिर घने लता गुलमो की कटाई छटाई करके प्रकाश की एक रेख स्वयम्बर मंच तक ला पाने में सफल हो जाते हैं -सूर्य की यह प्रकाश रेखा स्वयम्बर मंच पर मनो स्पाट लाईट का काम करती है ! फिर नर की नाच कूद मादा को रिझाने के लिए शुरू हो जाती है !
यह वीडियो जरूर देख लें !
10 comments:
Rochak hain inke vyavahar bhi.
पक्षियों में तो सब स्थानों पर केवल मादा की ही जय होती नजर आ रही है। मर्द तो आपसी प्रतियोगिता में ही मरे जा रहे हैं।
सुन्दर प्रस्तुति. हमें याद आ रहा है की ऐसा ही एक वीडियो क्लिप हमने आपको संदर्भित किया था.
बहुत सुंदर और अच्छी जानकारी दी. वैसे भी आजकल नर मादा का ही चहुं और बोलबाला है.:) अत: सामयिक भी कहना पडेगा.
रामराम.
अच्छी जानकारी.
अब हम भी ज्ञानी होते जा रहे हैं। शुक्रिया।
श्रंखला बढ़िया चल रही है भाई जी... ठकुर सुहाती का अर्थ पिछली कड़ी में पता लग गया था पर जब तक टिपियाता लाइट चली गई. खैर.. बढ़िया.. विषय तो रोचक है ही प्रस्तुति बेहतरीन..
Rochak jaankaari.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
स्वयम्बर कथा अच्छी है लेकिन हिंसक भी है मादा को रिझाने के चक्कर में नाहक ही लहू लुहान हो कर मरे भी जा रहे हैं
यहाँ तो गनीमत है की अखबारों में विज्ञापन से ही चयन / स्वयम्बर हो जा रहा है
बड़े भाग मानुष तन पावा
Thanks, great blog.
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