Tuesday 21 July 2009

उन पलों का इंतज़ार ......बेकरार !

एलार्म तो लगाया था पौने चार का मगर नीद उड़न छू है तीन बजे से ! इस समय चार बज कर बीस मिनट हो रहे हैं -उन पलों की बेकरार प्रतीक्षा है जब सूर्य अंतर्ध्यान हो जायेगें -पूरा परिवार इस सदी की एक बड़ी घटना को देखने के लिए तैयार हो रहा है -मैं तो दैनिक प्रातःकालीन कार्यों से निवृत्त हो चुका हूँ -सबसे खुशी की बात यह है की आसमान बिल्कुल साफ़ है -मानो प्रकृति सूर्यग्रहण के इस अविस्मर्णीय नजारे का तोहफा बनारस वासियों को देना चाह रही हो ,
दूसरे शहर वालों को इससे ईर्ष्या हो सकती है !

मैं बस कुछ मिनटों में यहाँ से निकल कर करीब ४५ मिनट की ड्राईव पर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी केपीछे गंगा नदी के एक घाट "सामने घाट " तक पहुंचून्गा जहाँ सदी के इस भव्य नजारे को निरखने के वैज्ञानिक ताम झाम विश्वविद्यालय के अप्लायड भौतिकी विभाग द्बारा किया गया है -हमने भी बाईनाकुलर और सफ़ेद कार्ड बोर्ड रख लिया है जहाँ सूर्य की रिवर्स इमेज लेकर ग्रहण के बढ़ते चरण का दीदार करेगें -एंड हियर वी गो ! गूगल बाबा तो आज पूरे काले हुए जाते हैं !



मिलते हैं फिर आज ही पूरी ख़बर लेकर ! इंतज़ार कीजियेगा !

10 comments:

Udan Tashtari said...

हम इन्तजार करेंगे हुजुर..आप मय फोटो विडियों के लौटें और हमें भी दर्शन करायें.

दिनेशराय द्विवेदी said...

हम भी साड़े तीन पर उठे थे पर बहुत अंधेरा था। अभी पाँच बजे से बारिश हो रही है। वैसे भी यहाँ ग्रहण 90 प्रतिशत ही है। पर सूर्यग्रहण से अधिक महत्वपूर्ण बरसात का होना है।

Dr. Praveen Kumar Sharma said...

बधाई हो , आप तो बढ़िया सूर्य ग्रहण देखे होंगे.

संगीता पुरी said...

हमारे यहां तो बादल छाए हैं .. आपके रिपोर्ट का इंतजार रहेगा ।

Ghost Buster said...

कल तक तो वाकई बेहद ईर्ष्या थी, लेकिन जब से पता चला है कि वाराणसी में (शायद पूरे भारत का) सबसे बढि़या नजारा देखने को मिला है तब से आप लोगों के लिये प्रसन्नता है और एक बढ़िया रिपोर्ट की प्रतीक्षा.

डायमंड रिंग आपके वहां बहुत बढ़िया दिखा, सुनते हैं.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अब तो लौट आये होंगे? दनादन फोटू और रिपोर्ट पेश करिए। इन्तज़ार है।

डॉ. मनोज मिश्र said...

खबर की प्रतीक्षा है.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

राहु (राहुल-ल) जी से भेंट हुई कि नहीं?

उन्मुक्त said...

मैं तो रात भर सो नहीं पाया। लेकिन चित्र, क्या करूं बादल छाये रहे।

P.N. Subramanian said...

यहाँ भोपाल में भी बादल छाए रहे. सुबह उठना तो अब मजबूरी हो गयी है, पानी जो भरना पड़ता हँ. भीमबैठका में पूरे इंतज़ाम किये गए थे. शायदे कुछ कुछ वहां दिखा भी है. हमारा जाना रद्द हो गया क्योंकि चारों ओर छाए हुए घनघोर बादलों को देखकर ४५ किलोमीटर दूर जाना अनुत्पादक लगा.