कोर्टशिप यानि प्रणययाचन पर कुछ थियरी पहले हो जाय फिर प्रैकटिकल की भीबारी आयेगी -वो क्या है जब थियरी अच्छी समझी नहीं होती तो फिर प्रयोग भी सध नही पाता ! तो सुधी जन पहले थियरी पर लो मन लगाय फिर प्रयोग की बारी आय !
पहले विद्वानों द्बारा दी गयी प्रणय याचन की परिभाषा को हृदयंगम कर लें -
प्रणय याचन वह विशिष्ट व्यवहार प्रदर्शन है जो रति क्रिया की पूर्व पीठिका तैयार करता है ।
मगर इसमें बहुत झाम भी हैं -यह मामला बहुत सीधा सादा नही है -प्रेम गली अति साकरी ! प्रणय याचन जिसमें तरह तरह के शरीर सौष्ठव प्रदर्शन ,अठखेलियाँ ,स्वर संधान ,गीत संगीत होते हैं नर और मादा को यौन संसर्ग हेतु उकसाते हैं -अभिमुख करते हैं और उन्हें रति लीला हेतु समंजित करते है .मगर त्रासदी यह है कि संभावनाशील लैंगिक जोड़े केवल मिलन की ही भावना के वशीभूत नही होते उन्हें साथ ही भय और दुविधा की भी भावना आ घेरती है .नर तो बहुधा बहुत आक्रामक हो जाता है ,क्योंकि इसी वक्त उसमें अपनी टेरिटरी -चौहद्दी की रक्षा अपने प्रतिद्वंद्वी नरों से करनी होती है .
कुछ जीवों में तो मादा भी बड़ी आक्रामक हो उठती है - मकडो /मकडियों की कुछ प्रजातियों में नर ज़रा भी असावधान हुआ तो बड़े आकर की मादा उसे चट कर उदरस्थ ही कर लेती है -इसी आदत के कारण एक मकडी प्रजाति चिर वैधव्य से अभिशप्त होती है नाम है ब्लैक विडो स्पाईडर ! इसलिए आत्मरक्षा में नर मकड़े की कई प्रजातियों में यौन प्रदर्शन के सिग्नल मादा को निश्चल कर देने का काम भी करते हैं .
ब्लैक विडो स्पाईडर जो यौन संसर्ग के समय नर को उदरस्थ कर सकती है .
रीढ़ धारी प्राणियों में भी नर के क्षेत्र रक्षण (टेरीटोरियलिज्म ) प्रवृत्ति के कारण यौनोंमत्त नर मादा के प्रति भी आक्रामक हो सकता है -बस यही मुश्किल आन खडी होती है ! मादाएं नर की प्रेम पीगों को डर और भय से भी देखती हैं- समर्पित हों या फिर नयी मुसीबत /जहमत से भाग चलें -यह दुविधा उन्हें आ घेरती है . नर का आक्रामक हाव भाव सेक्स हारमोन टेस्टोस्तेरान के कारण होता है जो आक्रामकता का भी जिम्मेदार होता है .कई प्रजातियों यहाँ तक मनुष्यों में भी प्रणय याचन आक्रामकता लिए होता है और मनुष्य प्रजाति में यौन भावना और आक्रामकता का ऐसा कुछ घालमेल है कि यह कुछ यौन विकृतियों का भी जिम्मेवार हो गया है -कुछa असामान्य लोग बिना आक्रामक आचरण किए यौन तृप्ति नही पाते ,पर यह अलग विषय है !
प्रक्रति ने मादा को प्रणय दौरान नर की आक्रामकता से बचने के लिए कई प्रशान्तिदायक -अपीजमेंट व्यवहारों की सौगात दी है जिसमें अचानक अतिशय विनम्रता ,और समर्पण के हाव भाव और भंगिमाएं शामिल हैं ,एक मछली है यूंटरोप्लस मैक्यूलेटसka जिसमे नर प्रणय लीलाओं के दौरान इतना आक्रामक हो उठता है कि मादा की मानो शामत आ जाती है -ऐसे में एक्वेरिय्म मछलियों के ब्रीडर ऐसे जोड़े के साथ एक दो अतिरिक्त छोटे नरों को रखता है जिन पर यौनोंमत्त नर अपनी आक्रामकता का शमन करता है और मादा के साथ तब जाकर सफल यौन संसर्ग हो
पाता है ।
यूंटरोप्लस मैक्यूलेटस मछली का प्रणय
जिसमें नर मादा के जोड़े के साथ
और भी एक दो नर रखे जाते हैं ताकि
मादा उसकी आक्रामकता से बची रहे .
जारी .....
12 comments:
बहुत दिलचस्प श्रंखला है।
ज्ञानवर्धक, जल्द ही आगे लिखिए
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नये प्रकार के ब्लैक होल की खोज संभावित
बहुत रोचक जानकारियां है जी. आगे की श्रंख्ला का इंतजार रहेगा.
रामराम.
बहुत रोचक जानकारियां है जी. आगे की श्रंख्ला का इंतजार रहेगा.
रामराम.
रोचक और ज्ञानदायक जानकारी .
रोचक जानकारी है.
बहुत ही ज्ञानवर्धक. एक्वेरियम के अन्दर तो हमने केवल ब्लेक मोली को ही ब्रीड होते देखा है
वाह! आपतो हमें भी विद्वान बना कर छोड़ेंगे। बधाई।
वाह बहुत ही अच्छी अच्छी जानकारियां बांट रहे है आप.अगळी कडी का इन्तजार रहेगां.
धन्यवाद
रोचक एवं ज्ञानवर्धक!
प्रणय याचना के संबंध में अभी केवल सुकुमार कल्पनायें ही की थीं । आक्रामकता का इतना विस्तार देख कर तो विस्मय होता है ।
प्रणय और युद्ध बहुधा पड़ोसी होते हैं!
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