Sunday, 24 May 2009

ईडा से मिलिए !

ईडा -सौजन्य :ग्रेग लैडेन्स ब्लॉग
जी हाँ यह हैं हमारी अति प्राचीन/आदि पुरखा जिन्हें लेकर इन दिनों काफी हो हल्ला मचा हुआ है !अभी उसी दिन मल्हार वाले अपने पा.ना. सुब्रमणियन ने मुझे इस बारे में निजी मेल भेज कर जैसे सोते से जगाया ! मनुष्य के उद्भव की जड़े तलाशते जीवाश्म विदों को यह फासिल /जीवाश्म जो दरअसल एक नर वानर आदि कुल के मादा प्रतिनिधि लेमूर का है जर्मनी में मिला है -इसे एक नए गण का नामकरण देते हुए डार्विनियस मैसिली प्रजाति बताई गयी है !


यह करीब ४.७ करोड़ वर्ष पहले की है और बहुत बढ़िया हालत में मिली है -पूरी तरह परिरक्षित ! नर वानर कुल को दो समूहों में बाटा गया है -स्ट्रेपसिर्रहिनी और हैप्लोरिनी ! स्ट्रेपसिर्रहिनी में तो मेडागास्कर के लेमूर और लोरिस आते हैं तथा एशिया और अफ्रीका के पोत्तोस और गल्गोस ! हैप्लोरिनी नयी और पुरानी दुनिया के बंदरों और कपियों से सम्बन्धित है जोआकार में मनुष्य सादृश्य रखते हैं ! ऐसा डी एन ए अध्ययन बताते हैं कि ये दोनों समूह तकरीबन ८ करोड़ वर्ष पहले एक दूसरे से अलाग थलग अस्तित्व में आ चुके थे ! अभी मिले ईडा के जीवाश्म से मानव विकास की कई अनसुलझी गुत्थियों के सुलझने की उम्मीद की जा रही है - अध्ययन से पता चलता है कि यह एक मादा फासिल है जिसका वजन ५८० ग्राम है -इसे शाकाहारी होना पाया गया है !

यह एक स्तापित मान्यता है कि मनुष्य का उद्भव अफ्रीका में हुआ -अब जर्मनी के इस अति प्राचीन जीवाश्म के मिलने से क्या मनुष्य की उत्पत्ति के बहु क्षेत्रीय माडल को तो बल नही मिलेगा ! आप इस फसिल के बारे में मेरे एक प्रिय बुक मार्क ब्लॉग साईट -ए ब्लॉग अराउंड द क्लाक पर नजरे फिरा सकते हैं और एक जबरदस्त बाईस्कोप यहाँ देख सकते हैं !













14 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

मन प्रसन्न हो गया आज की इस पोस्ट पर ताजा और नवीनतम जानकारी पा कर।

P.N. Subramanian said...

ज्ञान वर्धन हुआ. लिंक्स भी देखे. आभार..

Alpana Verma said...

करीब ४.७ करोड़ वर्ष पहले की 'ईडा' के जीवाश्म मिलने से मानव विकास सम्बंधित नयी जानकारियां मिलने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता.ज्ञानवर्धक जानकारी.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत रोचक जानकारी . वीडियो शाम को देख पायेंगे.

रामराम.

Himanshu Pandey said...

उपयोगी और रोचक जानकारी । लिंक के लिये आभार ।

समय चक्र said...

ईडा के बारे में अच्छी जानकारी दी है . मानव विकास के सम्बन्ध में आगे नए अध्याय खुलने की संभावना रहेगी . आभार

समय चक्र said...

ईडा के बारे में अच्छी जानकारी दी है . मानव विकास के सम्बन्ध में आगे नए अध्याय खुलने की संभावना रहेगी . आभार

Gyan Dutt Pandey said...

यह एक स्थापित मान्यता है कि मनुष्य का उद्भव अफ्रीका में हुआ-------------
उदग्र हिन्दूवादी प्रसन्न नहीं होंगे इससे।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अभी कितना कुछ है
जो अतीत के गर्भ मेँ
छिपा हुआ है
"ईडा" तो सामने है,
अब ना जाने कब
"पिँगला " भी प्रकट हो !!
- लावण्या

Abhishek Ojha said...

निरंतर खोज का विषय है ये ! और आपके ब्लॉग पर आने से हम अपडेटेड तो रहेंगे ही.

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी .

उन्मुक्त said...

सृजनवाद के अनुसार प्राणि जगत १०,००० साल के अन्दर बने थे। यह इस धारण के नकारने वाला सबूत है।

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा... बेहतरीन जानकारी.. हमेशा की तरह.. बधाई...

Urmi said...

आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया! आप हिलसा मछली से बनैयेगा स्वादिष्ट होगा! उम्मीद करती हूँ आपने हिलसा मछली का नाम सुना है!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने और काफी जानकारी मिली! बहुत बहुत बधाई!