ऐसी ही दिखती है मादा कोयल !
आखिर वह हतभाग्य चिडिया पहचान ही ली गयी ! मादा कोयल थी बेचारी ! इस समय उनका प्रजनन काल चल रहा है ! और आप जानते होंगें कोयल अपना घोसला तो बनाती नही -यह एक नीड़ परजीवी पक्षी है जो कौए जैसे चालाक पक्षी के घोसले में ,काग दम्पति की आंखों में धूल झोक कर अंडा भी दे आती है और बगलोल बना कौवा दम्पति कोयल शिशु को अपना समझ कर पालता पोषता है -एक दिन वह अहसान फरामोस भी अपने बाबुल के घर को उड़ चलता है -ठगे से रह जाते हैं कौवे !
लेकिन कभी कभी कोयल को इस खतरनाक खेल में जान की भी आहुति देनी पड़ जाती है -जैसा शायद इस बार हुआ ! कौवो ने कोयल को खदेडा या मारा पीटा भी शायद और वह बिचारी असमय ही कल कवलित हो गयी ! जिन्होंने मादा कोयल न देखी हो वे देख लें ध्यान से -यह भूरी सी होती है और शरीर पर सफ़ेद बुंदियाँ होती हैं !
कई लोगों ने इस चिडिया को पहचानने की ईमानदारी से कोशिश की और कुछ लोगों ने इसकी सही पहचान स्थापित करने में मदद की -मैं उन सभी का ह्रदय से आभारी हूँ !
मेरी भतीजी स्वस्तिका को सही उत्तर भी मिल गया और कोयल कौए के बीच की यह सच्ची कहानी भे उसे मालूम हो गयी !
27 comments:
सच कहा
मैंने ऐसी कोयल ऐसी देखी ही नहीं थी । पूरी काली तो आ जाती है कभी कभार हमारे अहाते के दो चार वृक्षों पर ।
चलिए स्वस्तिका
के साथ साथ
बूढ़े बच्चों और
अतीत के मासूमों
की ज्ञानवृद्धि भी
हो गई पर ज्ञान
दिया भी उनमें से
ही अनेक ने।
ज्ञान वर्धन हुआ. इसका मतलब यही हुआ कि जिस पक्षी को हम देखते आये हैं वह मादा कोएल थी न कि चकोर की प्रजाति. अब हमारी परेशानी यह है कि यहाँ कोएल बहुत हैं और सब काले ही. क्या मादाएं नहीं होंगी? यदि होंगी तो अब तक देखी क्यों नहीं. हम अ ड़ हा (अज्ञानी) हैं इसलिए पूछ बैठे.
पहले बार इतनी बारीकी से नर और मादा कोयल का पता चला. वाकई बहुत ही ज्ञानोपयोगी जानकारी दी आपने.
एक जिज्ञासा : यही सफ़ेद बूम्दी क्या हल्के भूरे रंग की भी हो सकती हैं? क्योंकि आजकल घर के आस पास से कोयल के कूकने की आवाज आती है अब दिखाई तो नही देती पर आपके चिर से मिलती जुलती आकार की चिडिया अक्सर दिखाई दे जाती है पर उस पर ये सफ़ेद की जगह भूरे रंग का आभास देती हैं.
कृपया बताने की कृपा करें.
रामराम.
ये भी बतलायेँ कि कूकनेवाली कोयल मादा होतीँ हैँ या नर ? या दोनोँ ?
ये सुफेद बिन्दीवाली कोयल प्यारी लगी और जानकारी बढिया !
- लावण्या
हमने कोयल के बारे में जो ज्ञान प्राइमरी में प्राप्त किया था उससे तो गच्चा खाने का ही डर था।:) अच्छा हुआ हम इधर आए ही नहीं थे।
काली-काली कू-कू करती।
छिपी हरे पत्तो में बैठी।
बाकी भूल गया है। कौवे को बेवकूफ़ बनाने वाली बात जरुर सुन रखी थी। जानकारी बढ़ाने का धन्यवाद।
ज्ञानवर्धन का आभार.
@ सुब्रमन्यन जी,
मादा कोयल बहुत छुप छुपा के रहती है ! कूँ ऊँ ...कूँ ऊँ की नर कोयल की आवाज से लोगों का ध्यान पूरी तरह से काले नर की ही ओर ही जाताहै -देखने में बिलकुल अलग भूरी सी चित्तीदार मादा को लोग कोयल के रूप जानते पहचानते ही नहीं ! अब से आप गौर करेंगें तो शंका दूर हो जायेगी !
@ ताऊ
यह अगर अक्सर दिखती है तो फिर मादा कोयल नहीं होगी ! प्लीज चित्र भेजें !
@ लावण्या जी ,
कूकने वाला तो नर ही होता है -मादा तो केवल किक किक किक किक किक करती रहती है ! अपनी कूक से नर दो काम करता है -एक तो दूसरे सभी नर को अपने एरिया की चेतावनी देता है और मादा को रिझाता है ! हम लोग तो फोकट में ही रीझते जाते हैं
Very good information indeed! you enhance my knowledge. I wasn't know about the female koyal. Thanks for sharing information.
पहले बार इतनी बारीकी से नर और मादा कोयल का पता चला. वाकई बहुत ही ज्ञानोपयोगी जानकारी दी आपने.
ज्ञानवर्धन का आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
चलिए मैने सही पहचान लिया. बधाई! :)
कल फोटो देख कर पहचानने के कोशिश की मगर नहीं पता चला. कोयल और कौवा दम्पति के बारे मे पढ़ कर ज्ञान वर्धन हुआ...
regards
अरविन्द जी,
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है, यह स्वीकारते हुये मुझे जरा भी शर्म नही आ रही कि इस पोष्ट को नही पढा होता तो यह जान ही नही पाता कि कोयल काली ही नही होती है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
चलिये अच्छा हुआ। मैं भी कल से नेट पर पक्षियों की तस्वीरें खोज-खोज कर हैरान था, लेकिन मादा कोयल का ख्याल ही नहीं आया था। वैसे पक्षियों के बारे में पूरा ज्ञान हासिल कर लेना बहुत ही मुश्किल है, यह मैंने पिछले दो दिनों में महसूस किया। आप सभी को धन्यवाद, जो इस पक्षी की पहचान में सक्रिय रहे।
एक दिन वह अहसान फरामोस भी अपने बाबुल के घर को उड़ चलता है -ठगे से रह जाते हैं कौवे !
अरविन्द जी, मन में एक शंका है, जिसका आपसे निवारण चाहूंगा.
कहते हैं कि जीव जिस परिवेश में रहता है, अपने आपको उसी माहौल में ढाल लेता है और उसी के अनुरूप आचरण भी करने लगता है. अब जब कि कोयल का बच्चा जन्म से ही कौओं के मध्य में रहता है. उन्ही के साथ खाता-पीता है. तो फिर उनके जैसा व्यवहार क्यूं नहीं करता. कौवी के प्रति उसके मन में उस प्रकार के भाव क्यों नहीं जागृ्त होते, जो कि एक बालक के अपनी माता के प्रति होते हैं.
जिस बच्चे ने कभी अपने असली माता-पिता को देखा तक नहीं वो कुछ समय पश्चात उनके पास ही किस तरह पहुंच जाता है.
सुंदर जानकारी
ज्ञानवर्धक रही यह जानकारी कोवे और कोयल की कहानी तो पता थी .पर पहचान नहीं पाए शुक्रिया
ऒह...
मिथक यदि सत्य हैं तो अबके जरूर किसी अच्छी योनि में जन्मेगी..!!
जय हो..
येल्लो, हमने तो मादा कोयल देखी ही न थी।
वैसे भी पर-नारियों पर हमारी दृष्टि कम ही जाती है! :-)
@ ज्ञान जी ,सचेत करने के लिए शुक्रिया ! विधना का विधान बली है -हम सब निमित्त मात्र हैं !
!@ Pt.डी.के.शर्मा"वत्स जी ,
आपका प्रश्न बहुत सटीक है -जो नीड परिजीवी पक्षी हैं मतलब कोयल पपीहा आदि उनमें बच्चों पर माँ बाप की इम्प्रिटिंग नहीं होती यह पक्षीजाग्त की एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसे वैज्ञानिक अभी हल नहीं कर सके हैं ! इस पर कभी विस्तृत पोस्ट लिखूंगा !
तब तक आप imprinting गूगल से देख लें ! कोयल इम्प्रिटिंग का अपवाद है !
ओह, कोयल।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कोयल और कौए के सम्बन्ध में एक श्लोक और एक दोहा :
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदों पिक काकयोह
वसंत काले संप्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः
कागा काको धन हरे, कोयल काको देय.
मीठे वचन सुनाय के जग बस में कर लेय..
"हम लोग तो फोकट में ही रीझते जाते हैं"
चलिये आज एक "नर" मिल गया जो नर कोयल की आवाज से रीझ जाता है.
अब आते हैं आप के लेख की ओर: जिस दिन से आप का मूल आलेख देखा था तब से कई लोगों से पूछा, लेकिन कोई भी जवाब न दे पाया. प्रकृति-प्रेम के कारण मेरी जिजासा बढती ही जा रही थी.
परसों बिटिया ने काफी दूर बैठी एक चिडिया दिखाई तो लगा कि यह वही है. तुरंत दुरबीन निकाल कर उस ने और मैं ने उसे ध्यान से देखा. तब फिर लगा कि यह वही है.
इसके बाद बेटे ने देखा और हंसी के मारे उसके पेट में बल पड गये क्योंकि वह सिर्फ एक कौआ था जिसके पंखों पर कुछ भूरे धब्बे थे.
लौट के बुद्दू घर को आये -- नहीं, नहीं, साईब्लाग पर आये.
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
dhanyavaad sir koyal dikhane ke liye mai to abhi tak kali koyal ke baare me hi suna tha.
dhanyvaad sir koyal dikhane ke liye maine to abhi tak kali koyal ke baare me hi suna tha
हमारे यहाँ रोज आती है ये।
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