Science could just be a fun and discourse of a very high intellectual order.Besides, it could be a savior of humanity as well by eradicating a lot of superstitious and superfluous things from our society which are hampering our march towards peace and prosperity. Let us join hands to move towards establishing a scientific culture........a brave new world.....!
Tuesday, 7 April 2009
पुरूष पर्यवेक्षण की अगली चाल !
धावक की दौड़ चाल -स्प्रिंट ! ( ऐविअरी )
बात पुरूष- चालों की चल रही थी ...मैं फिर यह स्पष्ट कर दूँ कि ऐसा नहीं है कि जिन चाल प्रारूपों की चर्चा यहाँ हो रही है उन पर महज पुरुषों का ही एकाधिकार है -मगर पुरूष पर्यवेक्षण में नारी की ख़ास चालों के जिक्र का औचत्य नही इसलिए उनकी खास चालों का जिक्र भी यहाँ नही है ! अब आईये गत चाल से आगे चलें !
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१८ -अकडू चाल ( the strut ) -अति आत्मविश्वास की अकड़ भरी चाल -इठलाने का प्रदर्शन !
१९ -अति अकडू चाल (the swagger ) -अकडू पॅन की पराकाष्ठा दिखाती चाल -चाल से ही शेखी बघारना .
२०- अकडू मगर कुछ दोस्तानी चाल (the roll )-अकड़पन तो है मगर लहजा दोस्ताना .रास्ते में कोई मिला तो उसका रुक कर /मुड कर हालचाल भी पूछने की सदाशयता का प्रदर्शन !
२१-सभ्रांत चाल -(the stride ) -सभ्रांत ,ऊंचे तबके अभिजात्य वर्ग की ख़ास चाल -लंबे डग /कदम की चाल ..अब महिलाओं की भी पसंद !
२२- धब धब चाल ( the tramp )-कोल्हू के बैल वाली चाल मगर डग भरना जल्दी जल्दी !
२३-कमजोर की चाल ( the lope ) -ऐसे कमजोर सीकियाँ पहलवान की चाल जिसे चलते हुए देखकर ऐसा भान हो कि यह बन्दा अगर चलता ही नही गया तो शरीर को संभाल नही पायेगा और आगे भहरा उठेगा !
२४-चौंक चाल (the dart ) -चौंक कर खिसक चलने की चाल -स्त्रियों में एक डरी सहमी चाल ,तेज और व्यग्र ,इधर जायं या उधर जाय -अनिर्णय की चाल !
२५- पैर घसीटा चाल ( the slog ) -लम्बी दूरी की तेज चाल मगर पावों को लगभग घसीटते हुए से !
२६-उतावली चाल ( the hurry) - उतावले पॅन और हडबडी की चाल जैसे कोई तात्कालिक काम आ पड़ा हो -दौड़ पड़ने के ठीक पहले जैसी चाल !
२७-दौड़ धूप की चाल (the bustle ) -तीव्रता और व्यग्रता लिए दौड़ भाग की चाल
२८-उछल कूद की चाल (the prance ) -नाचने कूदने फांदने की चंचल चाल -बच्चे किशोरों की ।
२९- सेहत की चाल (the jog )-सेहत बनाने की नीयत से सुबह सुबह की मंथर दौड़ ! मगर सावधान बड़ी उम्र के लोग बिना डाक्टर की सलाह के इसे न अपनाएं .कहीं लेने के देने ना पड़ जायं -सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ ना जाय ।
३०-चल कदम दर कदम, चाल -(the march ) -मिलिटरी स्टाईल की चाल -तेज कदम ,कदमके फासले लंबे ,हाथों का आगे पीछे होते रहना ।
३१ -हंस कदम चाल -( the goose step ) मार्च करने की ऊपरी स्टाईल का ही एक नाटकीय रूप -कैसे परेडों के दौरान पैर बिल्कुल सख्त -लम्बवत /सीधा रखते हुए आगे बढ़ते हैं !
३२ -दौड़ चाल ( the run ) -शिकार के लिए दौड़ पड़ने की याद दिलाती चाल -आगे झुक कर पैरों को जमीन पर मजबूती से टिका कर आगे की ओर उछलते हुए दौड़ लगा देना .चहलकदमी में जहाँ किसी भी समय जहाँ दोनों पैर अथवा एक पैर जमीन पर होता है -इस दौड़ चाल में महज एक पैर जमीन पर अथवा कोई भी पैर जमीन पर नही हो सकते !
३३- कम दूरी की दौड़ ( the sprint ) -प्रति सेकेण्ड ४-५ पग की बहुत तेज चाल की छोटी दौड़ ! इसमें जमीन पर एंडी नही पड़ती बस पैर का पंजा जमीन पर आता रहता है !
तो ये रहीं वे चालें जिनमें अधिकाँश का हम अपने जीवन में स्वेच्छा और भावनात्मक कारणों से या सामाजिक जरूरतों के मुताबिक उपयोग करते हैं !
टांगों की कुछ संकेत भागिमायें भी हैं .जैसे जंघे पर ताली का प्रहार -ताल ठोकना ! यह विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौती देने ,ललकारने ( महाभारत के लगभग अवसान पर तालाब के भीतर छुपे दुर्योधन को बाहर निकालने के उपक्रम में उसे उकसाने के लिए भीम बार बार ताल ठोकते हैं ) ,आश्चर्य और हर्ष ,शर्म ,दुःख और अति आनंद के लिए इस भंगिमा को अपनाया जाता है !
और एक भंगिमा है पैरों को टेकने की -घुटने की -एक पैर का घुटना टेंकना या फिर दोनों पैर के घुटने टेंक देना -यह स्वामित्व स्वीकारने की भंगिमा है । मगर दोनों पैर अब असीम /सर्वोच्च सत्ता के सामने ही टेंकने का रिवाज है !
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15 comments:
nice post but witout pictures or videos it is incomplete.
रोचक और अदभुत लगा यह विश्लेष्ण
बढिया पोस्ट लिखी है।
लाजवाब जानकारी. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
धब धब चाल ( the tramp ),कमजोर की चाल ( the lope ) और चौंक चाल (the dart )के उदाहरण ढूँढ़ने लगा अपने आसपास यह पोस्ट पढ़कर । धन्यवाद ।
क्या यह पर्यवेक्षण समाप्त हुआ ?
वाह! आदमी और औरतों की चाल का अन्तर उनके मन की चाल में भी है क्या?!
चाल के इतने सारे प्रकार!
आप सारी चालें गिना चुके या कुछ और भी शेष हैं? मामा शकुनी की चाल कौन सी है?
बाप रे .... लोग भी क्या क्या analyse कर डालते हैं..
कुछ चालें और भी हैं. जैसे भेड़ चाल, शतरंजी चाल, फूहड़ चाल, और एक चाल मुंबई में भी पाई जाती है.
शानदार विश्लेषण रहा यह भी। बधाई।
क्या कैने कैने लेकिन फिर भी इन सभी चालों की कुल जमा वैल्यू है जीरो। नारी की एक ही चाल पर ना जाने कितने गीत लिखे गये ना जाने कितने विश्लेषण मिले और पुरूष इतनी अलग अलग चालों का स्वामी होने पर भी १-२ गीत को तरस रहा है।
लेकिन नया कुछ तो पता चला।
आपने साधारण पुरुषों की चालों का वर्णन किया है. इस मौसम में राजनीतिक चालों का दौर है,जो चुनाव के बाद और तेज हो कर सरकार बनने तक चलेगा.
पुरूष पर्यवेक्षण वाकई एक गहरी चाल बन गया है।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
चाल के साथ चलन का भी विश्लेसन भी जरूरी है
नेतावो की चाल जो सत्ता पाने और और खो जाने पर बदलती है उसका विश्लेषण वर्तमान समय में प्रांसगिक है
कभी इस पर भी चिंतन हो जाये क्योंकि जनता इन के चाल पर ही वारी जा रही है
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