Monday, 9 March 2009

पुरूष नितम्ब पर्यवेक्षण -२ (होली विशेष )

पुरूष नितम्ब के कुछ पहलुओं को आपने पिछली पोस्ट में देखा! होली विशेष पर कुछ ये भंगिमा भी देखिये !
विनयी भाव से आगे की ओर पूरा झुक कर नितम्बों का प्रदर्शन एक तुष्टिकरण (अपीजमेंट ) की भाव भंगिमा है .यह मनुष्य में दूसरे कापियों और बंदरों से ही विकसित होकर आयी है .कपि बानरों में नितम्ब को इस तरह से प्रस्तुत करने का मतलब होता है " लो देखो मैंने तुम्हारे सामने ख़ुद को एक निर्विरोधी निष्क्रिय मादा की भूमिका में समर्पित कर दिया हूँ अब मुझ पर अपनी प्रभुता जतानी हो तो दुहाई है आक्रमण न करो बल्कि रति क्रिया का विकल्प दे रहा हूँ इसे स्वीकार कर लो !" (यह कपि -बन्दर व्यवहार नर और मादा में कामन है ) इस तरह की देह मुद्रा अपना लेने पर प्रायः आक्रामक बन्दर नितम्ब प्रदर्शी बन्दर को अभयदान दे देता है या कभी कभार महज दिखावे भर के लिए उस पर आरूढ़ हो रति कर्म सा कुछ अनुष्ठान भर कर देता है !

अब इस कपि व्यवहार के मानवीय निहितार्थों पर शोध अनुसन्धान व्यव्हारविद कर रहे हैं -समलैंगिकता के संदर्भ में दबंग पुरूष के साहचर्य से जुड़े इस असमान्य व्यवहार पर तो विवादित विचार हैं मगर कई जगहों पर नितम्बो पर बेंत बरसाने का प्रयास कहीं उस कपि व्यवहार की ही प्रतीति तो नही कराता ? !
अन्यथा सामान्य सामजिक रहन सहन में नितम्ब कोई घनिष्ठ संबंधी ही छू सकता है .प्रेमी- प्रेमिका ,पति -पत्नी और हाँ वात्सल्य भाव से माँ बाप भी अपने बच्चों के नितम्ब पर दुलार की थपकी देते हैं .माँ नन्हे बच्चे को नितम्ब पर हौले हौले थपकी देकर सुलाती है !
मगर जरा पश्चिमी संस्कृति जिसका प्रभाव भारत में अब है की एक बानगी देखिये जिसमें कई उम्रदार सगे संबंधी या फैमिली फ्रेंड भी किशोरियों के नितम्बों पर थपकियाँ देकर प्रत्यक्षतः तो वात्सल्य भाव का प्रदर्शन करते हैं मगर अपरोक्ष रूप में वे अपनी हल्की कामुक इच्छा की ही तृप्ति कर रहे होते हैं .क्षद्म वात्सल्य की आड़ लेकर ! यह एक चिंतित करने वाला व्यवहार है ! पर यह वहीं ज्यादा प्रचलन में है जहाँ चाल चलन की ज्यादा उन्मुक्तता और आधुनिक परिवेश है !
होली का थोड़ा सात्विक लाभ लेकर मैं पुरुषांग विशेष की चर्चा भी निपटा लेना चाहता था पर अपरिहार्य कारणों से लगता है यह अब सम्भव नही हो पायेगा -चर्चा तो होली पर ही तैयार हो जायेगी हो सकता है पोस्ट बाद में हो सके !
आप सभी को होली की रंगारंग शुभकामनाएं !

18 comments:

अक्षत विचार said...

होली की ढेर सारी शुभकामनायें...

निशाचर said...

बहुत खूब...होली का ठेठ देसी मजा दे रही है आपकी पोस्ट.
होली की शुभकामनायें.

नीरज गोस्वामी said...

गज़ब की जानकारी दी है...हम वानरों का अनुसरण क्यूँ न करें आखिर हैं तो उन्हीं के वंशज....

आप को होली की शुभकामनाएं .
नीरज

Gyan Dutt Pandey said...

नितम्ब न हुआ; सफेद झण्डा हो गया! :)

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

भोजपुरी में नितम्ब को लेकर कुछ मुहावरे प्रचलित हैं लेकिन हिन्दी में उनका प्रयोग अश्लील माना जाता है। वहाँ जो अर्थ मिलता है वही आपकी व्याख्या में यहाँ पढ़ने को मिला।
अच्छा पर्यवेक्षण कर रहे हैं। बधाई।

होली की असीम मंगलकामनाएं।

समय चक्र said...

मिश्र जी
थोड़े फोटो मोटो तो लगा देते तो ओरई मजा आ जाता .... तनिक होली की मौज भी कर लेते . होली पर्व की हार्दिक शुभकामना

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

आपको एवम आपके सपरिवार को हे प्रभु के पुरे परिवार, कि तरफ से भारतीय सस्कृति मे रचा- बसा, "होली" पर्व पर घणी ने घणी शुभकामनाऐ :)(: )(::

[मजाक भरे होलियाना त्योहार पर कुछ मस्ती आपके साथ]



जय हो कि ताल पे ये बार होली है, गुलाल है, जिसको देखो वो ईच लाल है,जो नही है, वो अपनी लाल करने मे लगा बेहाल है। पएला होली पे दुसरे कू लाल करते थे लोक। पन अबी ये बार खुद कि ईच लाल कर रएले है लोक।
टेशन नही लेणेका बाबा, टेशण देणे का। अभी अपुण आपको होलि का झकास मुबारकबाद दे रहेला है, चुप चाप लेणेका और वटक जाने का ॥ क्या ? बोले तो होली मुबारक॥॥। मेरे यार॥॥

ताऊ रामपुरिया said...

कुच्छो समझ मे नही आरहा है आपने सूबह ्सूबह भांग के खेत मे लेजाकर चरा दिया हमको. जय हो होली महारानी की..

होली की घणी रामराम.

P.N. Subramanian said...

बड़ी सुन्दर जानकारी. होली की शुभकामनायें. एक चुटकी गुलाल स्वीकार करें.

राज भाटिय़ा said...

आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया जी.

आपको व आपके परिवार को होली की घणी रामराम.

लाल और बवाल (जुगलबन्दी) said...

अरे अरविंद जी,
ये चक्करवा क्या है?
हा हा होली वोली मनाओ सर और तशरीफ़ में रंग लगाओ। नितम्बी होली ओह सा॓री सर..... हैप्पी होली।

Ashish Maharishi said...

banaras me kahan se hain sir>??


maion bhi banaras se hi hoon

प्रवीण त्रिवेदी said...

बहुत खूब...
होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!

होली की शुभकामनाओं सहित!!!

प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर

arun prakash said...

भाई साहिब , के .पी . गिल साहेब ने रुपन मैडम के साथ जो हरकत की थी उसमे लगता है आपके ही शोध लेखों का तो हाथ नहीं था
होली के मौके पर शुभकामनाएं
पर इस तरह नितम्ब तो न झुकाएं
ब्लॉग पर ...........

Science Bloggers Association said...

मजेदार जानकारी।

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

योगेन्द्र मौदगिल said...

महेन्द्र जी चिन्ता न करें.... क्योंकि..

मिश्र ने कही मिश्र ने मानी
कहे मौदगिल दोनों ग्यानी

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

उत्तंग...नितम्ब-दर्शन करने का यों तो सोचा भी ना था....मगर आपने तो.............वो किसी ने कहा था ना.........घर से निकले थे हौसला करके.....लौट आये खुदा-खुदा करके....वाही हाल हमारा हुआ आज...सच्ची....!!