पुरूष पर्यवेक्षण के कूल्हे -पडाव पर आपका स्वागत है .अब कूल्हे और कोल्हू के शब्द और अर्थ साम्य पर कोई भाषाविद ही आधिकारिक टिप्पणी कर सकता है मगर यह बता दूँ कि अंगरेजी का हिप शब्द 'टू हॉप ' (क्रिया ) से बना है .मतलब फुदकना ! पर ये फुदकना किस अर्थ में भला ? आप सोचिये हम शुरू करते हैं कूल्हा पर्यवेक्षण !
दरअसल कूल्हा पुरूष के मामलात में कोई ख़ास मायने नही रखता -यह जैसे नारी के एकाधिकार में ही है ! नारी की श्रोणि मेखला (पेल्विक गर्डिल ) का भारीपॅन ही कूल्हे के आकार प्रकार को रूपायित करता है .यह पुरूष से ज्यादा चौडाई और गोलाई लिए है और इस मामले में लैंगिक अन्तर को तरह तरह से बढ़ाने चढाने के यत्न किए जाते रहे हैं !
कूल्हे मटकाने में जहाँ नारियों को महारत हासिल है कुछ संदर्भों में यह काम मन -बेमन से पुरुषों की झोली में आ टपकता है -जैसे महिलाओं की नक़ल करते पुरूष हास्य कलाकार और समलिंगी पुरूष की अदाएं ! मगर पुरूष कलाकार कूल्हों को मटकाने में प्रायः हिचकते से हैं क्योंकि ज़रा भी लापरवाही हुई तो पुरूष की कूल्हे मटकाने की अदा भोंडे /अश्लील से मैथुन क्रिया की प्रतीति करा सकता है ! मजे की बात यह है कि नारी कैसे और कितना भी कूल्हे मटकाए वह सहज श्रृंगारिकता की ही परिधि में ही रहता है ! ऐसा विद्वानों का विचार है !
जब हिप की बात उठी है तो भला हिप्पियों की याद क्यों नही आयेगी ? पर मजे की बात तो यह है कि हिप्पियों का हिप से कोई लेना देना नही है ! दरअसल विगत सदी के छठे दशक का हिप्पी आन्दोलन एक दूसरे शब्द हिप्स्टर (Hipster ) का ऋणी है -हिप्स्टर १९५० के दशक के एक नृत्य सगीत समूह 'जाज ' के किसी सदस्य के लिए प्रयुक्त होता था और वहाँ भी यह शब्द एक तत्कालीन मिलटरी गतिविधि से लिया गया था -मिलटरी के वे समूह जो बहुत अनुशासित तरीके से कदमताल करते थे "हिप "कहलाते थे .अब कहाँ मिलटरी के अनुशासित हिप और कहाँ लखैरे हिप्पी ! मिलटरी से उदगम पाने वाला एक शब्द कैसे अपना मूलार्थ खो कर एक सर्वथा विपरीत अर्थ ग्रहण कर बैठा एक अलग ही कहानी है कुछ कुछ हमारे यहाँ बुद्ध से बुद्धू बनने जैसा ही ! मगर यहाँ तो बात हम कूल्हे की कर रहे थे ......
जारी .......
14 comments:
जारी रखें.आनंद आ रहा है. आभार
"अब कूल्हे और कोल्हू के शब्द और अर्थ साम्य पर कोई भाषाविद ही आधिकारिक टिप्पणी कर सकता है मगर यह बता दूँ कि अंगरेजी का हिप शब्द 'टू हॉप ' (क्रिया ) से बना है .मतलब फुदकना ! पर ये फुदकना किस अर्थ में भला ?"
Refer to Ajit ji (Shabdon ka Safar)
बडी अनूटःई और रोचक शुरुआत की है आपने. आगे का इंतजार करते हैं.
रामराम.
अच्छी पोस्ट! हिप हिप हुर्रे!
कुल्हे मटकाने का मुहावरा थोड़ा और प्रकाश डालना मांगता है। :)
कूल्हे से शुरू किया और हिप्पियों तक पहुंच गए .. अधिक जानकारी नहीं मिल पायी इस पोस्ट से ... अगली कडी का इंतजार रहेगा।
पुरूष की कूल्हे मटकाने की अदा भोंडे /अश्लील से मैथुन क्रिया की प्रतीति करा सकता है ! मजे की बात यह है कि नारी कैसे और कितना भी कूल्हे मटकाए वह सहज श्रृंगारिकता की ही परिधि में ही रहता है ! ऐसा विद्वानों का विचार है !
यूँ तो फागुन का महीना है। पर फिर भी पूरी गंभीरता से कह रहा हूँ कि हम वकील लोग तो सदैव विद्वान होते हैं और जज सम्माननीय। बस यह पूछना चाहता हूँ कि आप स्वयं को किस श्रेणी में मानते हैं?
बहुत सुंदर... इंतजार है अगली कडी का ....
धन्यवाद
बढ़िया जानकारी दी है आपने ..शुक्रिया
हिप, हिप्पी और हिप्स्टर के साथ कूल्हा पर्यवेक्षण पढकर अच्छा लगा। आभार।
आपने मन में एक उत्सुकता पैदा कर दी है. अब तो आगामी पोस्ट की प्रतिक्षा रहेगी......
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