हज़ार साल पहले केरल से चलकर शंकराचार्य ने मानव की ज्ञान बुभुक्षा के एक महायग्य में हविदान के लिए बनारस तक की पदयात्रा की और यहाँ आकर मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ किया .आज ज्ञान यज्ञ की उसी परम्परा के संवहन में दक्षिण भारत के दो दर्जन आधुनिक शंकराचार्य काशी पधार रहे हैं -एक नए समकालीन ज्ञानयग्य में भाग लेने .और मैं उसका साक्षी बन रहा हूँ ! यह मेरे लिए गौरव और रोमांच का क्षण है -
विज्ञान कथा -साईंस फिक्शन दरसल मानव ज्ञान की वह विधा है जिसमें मानव के भविष्य और आने वाली दुनिया- समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती है -कहानियों के जरिये समाज पर पड़ने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित प्रभावों का रोधक वर्णन किया जाता है -इस विधा को पश्चिमी साहित्य में बड़ा सम्मान मिला हुआ है मगर भारत में इसका वह विकास नही हुआ जो अपेक्षित था -मुख्य कारण तो यही है की साहित्यकारों ने इस ओर ज्यादा रूचि नही दिखाई -भारत में अब इस विधा के उन्नयन मे नयी पहल हुई है ।
अब होने वाली रास्त्रीय परिचर्चा की मुख्य बातों को इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आप तक लाने का प्रयास करूंगा ।
यह रास्ट्रीय परिचर्चा १० से १४ तक है ।तैयारियां फुल स्विंग पर हैं !
17 comments:
आयोजन सफल जो इसी कामना के साथ.
http://mallar.wordpress.com
आपको बधाई और हमेँ प्रतीक्षा रहेगी - पूरी रीपोर्ट की -
& Do read this link :
http://www.abhivyakti-hindi.org/phulwari/natak/ekpal01.htm
"waiting to read full deatil on the subject. wish you good luck"
Regards
इसकी सफलता के लिए शुभकामनाएं और अगली रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी ! धन्यवाद !
मैंने आने और जाने का रिजर्वेशन करवा लिया है। यानी कि आना तो पक्का हो ही गया। और कोई आदेश हो तो जरूर बताएं।
आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं और आगे की रिपोर्ट्स का इंतजार !
अच्छा आयोजन है ..इस के बारे में पूरी जानकारी जानने की उत्सुकता रहेगी
आपको बधाई .best of luck....
बड़ा अच्छा है जी! इस प्रकार की गतिविधियों में लगे रहने से मानसिक उर्वरता बनी रहती है और सार्थकता का अहसास तो होता ही है।
बहुत शुभकामनायें।
बहुत शुभकामनाऐं.
इस ज्ञान यज्ञ से क्या निकला जानने की इच्छा है।
आज मैं अगस्त २००५ की विज्ञान प्रगति (आइन्सटाइन विशेष अंक) में विज्ञान गल्प "अन्तर्यामी" पढ़ रहा था. (इस दीपावली की सफाई में ये अंक कहीं से निकल आया). अरविन्द मिश्र, वाराणसी, विज्ञान गल्प, आपके अलावा और कौन हो सकता है?
अत्यन्त रोचक कथा है. अंततः ईश्वरी प्रसाद का अति आत्मविश्वास ही उसे ले डूबा. सही है, हर अपराधी कहीं न कहीं गलती करता ही है. वैसे कहानी में भविष्य की दुनिया की बड़ी रोचक कल्पना की है आपने. आनंद आया. जनसँख्या नियंत्रण, एलियंस का लोस्ट चार्म और ब्रेन मैपिंग एट बर्थ के विचार बढ़िया लगे.
--------------------------
परिचर्चा की रपट का इन्तजार है.
बहुत ही अच्छा कर रहै है आप, आप का आयोजन सफ़ल हो, यह शुभकामन्ये करते है, अगले लेख की इन्तजार रहै गी.
धन्यवाद
Ghost Buster
अरे वाह भूत भंजक भाई आप जैसा कोई (दोस्त) मिल जाय तो क्या कहने ! जी हाँ वह कथा इस खाकसार की ही लिखी है .
आपने पढी ,आपको अच्छी लगी -मेरा श्रम सार्थक हुआ !
आशा है यह सेमिनार विज्ञान कथा पर छाए धुंधलके को हटाने में सार्थक होगा।
satat shubhkamnaen
Post a Comment