भरपेट भोजन के बाद चल पड़े डगमग
गाँव गया था,जौनपुर -मेरे तीन दिन के प्रवास में दो साँप दिखे -दोनों शुभ संयोग से विषहीन ! एक तो वोल्फ स्नेक था जिसके बारे में इस ब्लॉग पर पहले ही चर्चा हो चुकी है .दूसरा साँप पानी का साँप था जिसे चैकेर्ड कीलबैक वाटर स्नेक कहते हैं .इसका प्राणी शास्त्रीय नाम xenochropis piscator है .जब यह देखा गया तो यह एक बड़े से मेढक को निगल चुका था-इसके शरीर के फूले हिस्से को देखकर आप ख़ुद अंदाजा लगा सकते हैं .बहरहाल जैसा कि आम तौर पर गावों में होता है लोगबाग की भीड़ इसका काम तमाम करने को जुटने लगी और मेरे बच्चे इसकी तस्वीर उतारने में मशगूल हो गए -वीडियो भी लिया गया है ,देखिये लोड हो पता है या नहीं .नहीं तो फिलहाल फोटो से ही और कुछ अपनी कल्पना से वहाँ मचे हो हल्ले का अंदाजा लगाईये -बड़ी मुश्किल से मैं लोगों को इसे मार देने से रोक पाया -भीड़ भाड़ और हो हल्ला सुन कर इसने निगल चुके मेढक राम को उगल दिया -वे अधमरे से चित्र में देखे जा सकते हैं .बाद में Rana tigrina प्रजाति के ये महाशय जिन्हें गाँव में गोपाल मेढक भी कहते है चैतन्य हो गए और फूट निकले .बेटे कौस्तुभ और बेटी प्रियेषा साँप को पहले ही एक सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सफल हो चुके थे ।
जाऊं तो जाऊं किधर जाऊँ ?
पानी के साँप को जौनपुर में पंडोल या देडहा भी कहते हैं अन्य अंचलों में इसका स्थानीय नाम दूसरा होगा .यह मछली और मेढक ख़ास तौर से पसंद करताहै -प्रायः तालाबों के निकट और धान के खेतों में दिखता है .ये दिन रात सक्रिय रहते हैं .ये वैसे तो गुस्सैल स्वभाव के होते हैं और छेड़े जाने पर किचकिचा के काट सकते है मगर 'सलीके '
से पेश आने पर पालतू भी हो सकते हैं .ये बिल्कुल ही विषहीन होते हैं -सौंप के खाल के व्यापारियों के साफ्ट टार्गेट हैं -तेजी से इनकी संख्या कम हो रही है -इनका पर्यावास भी खतरे में है -तालाब भी तेजीसे पट रहे हैं ।
इसके मुंह की पेशियाँ इतनी लचीली होती हैं कि ये काफी बड़े आकार के मेढक ,मछली और परिंदों को समूचा जिंदा निगल सकते हैं । जान बची तो लाखो पाये
इस पूरे प्रकरण का वीडियो मैं किसी न्यूज़ चैनेल को बेचने की फिराक में हूँ ताकि एक बाबा के झूठ मूठ संजीवनी के प्रलाप कीबजाय किसी सौ फीसदी सच्ची ख़बर को मीडिया में उछाला जा सके .है कोई बोली लगाने वाला ?
पुनश्च -आपको साँप को करीब से देखने के लिए फोटो को एनलार्ज कर देखना होगा !
और ये रहा वीडियो ! बड़ा मजेदार है जरूर देखिये !!
15 comments:
आम आदमी तो वेसे ही सांप को देख कर डर जाते है, ओर मार देते है. आप ने अपने लेख मे बहुत ही सुन्दर जानकारी दी है,
धन्यवाद
अच्छी जानकारी .दी है आपने ..चित्र भी बढ़िया लिए हैं
बिल्कुल जान बची लाखों पाये । सांप और मेढ़क पर लिखना पढ़ा बहुत अच्छआ लगा । विषय अच्छा लगा।
बहुत बढिया जानकारी ! अमूमन सौंप को देखते ही लोग उसको मारने को दौड़ पड़ते हैं ! आपने एक जागरुक करने वाला
लेख लिखा है ! इससे निश्चय ही कुछ सांपो की जान तो बचेगी ! बहुत शुभकामनाएं !
maine bhi ek kale sarf ko medhak ko leele huye dekha hai . or mai unke bahut kareeb tha. sanp ka pet foola tha or is position me sanp bhag bhi nahi paa raha tha.
बहुत बेहतरीन लेख ! आख़िर सौंप भी जीव हैं और अधिकतर साँप तो जहरीले होते ही नही हैं !
बिना वजह लोग डरते हैं !
शायद सांपों को भी उनके प्रति आपके लगाव का पता चल गया है :) हमारी शुभकामना है कि आप बार-बार गांव जाएं ताकि हमारे लिए बार-बार ऐसे ही मजेदार अनुभव बटोर लाएं :)
यह तो बहुत अनूठी फर्स्ट हैंण्ड अनुभव की पोस्ट है। मात्र कलम की लिखी से कहीं ज्यादा महत्व युक्त।
आपको बहुत धन्यवाद।
मैने दन्न से फोटो बड़े कर देखे!
बेचारा मेढक तो मौत के मुँह से निकला है। जाको राखे साइंया मार सके न कोय!
बढिया सचित्र जानकारी के लिए आभार।
अच्छे चित्र, अच्छा विषय और लिखा भी अच्छा है आपने। छत्तीसगढ मे पानी के सांप को पिटपिटि और धोडिया कह्ते हैं।मिश्रा जी आपको ,कौस्तुभ,प्रियेषा और पूरे परिवार को दशहरे की बहुत-बहुत बधाई।
अच्छी जानकारी। आस्तीन के सांप तो रोज मिलते हैं लेकिन आप असली सांपो की जो रोचक जानकारी दे रहे हैं, उसके लिए आभार।
वीडियो ने तो पोस्ट को और भी रोचक बना दिया।
मुझे तो लगता है कि आपका और जीव जन्तुओं के बीच कोई गहरा रिश्ता है। जब भी आप गांव जाते हैं, कोई न कोई जानवर मिल ही जाता है।
लेकिन यह भी अच्छा है, इसी बहाने हम लोगों की जानकारी तो बढ रही है।
डोन्हा या पनीला विषहीन सौंप को दिखा कर आपने भी अपनी टी आर पी बढाने का ही प्रयास किया है अच्छा होता इसे आप सर्प कन्या या नागिन का प्रतिशोध नाम दिए होते तो जरूर टी वी वाले इसे लपक लेते लेकिन सत्यानाश हो आपके सत्य उद्घोष की जो आपने इए विष हीन पनैला सौंप बता कर अपना मार्केट ही चौपट कर डाला अगली बार सतर्क रहियेगा
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