Thursday 2 October 2008

पुरूष पर्यवेक्षण -दाढी महात्म्य जारी .........

पुराने जमाने में दाढी शक्ति ,सामर्थ्य और मर्दानगी की निशानी समझी जाती थी .जिसकी दाढी मूछ किसी भी कारण से मुड़वा उठती थी उसे काफी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती थी .उस समय गुलामों ,दुश्मनों और बंदियों की दाढी मूछ मुड़वाने का चलन था .यह उनके लिए किसी अपमान से कम नही था .दाढी पर लोग सौगंध तक खा जाते थे और पब्लिक इस सौगंध पर भरोसा भी रखती थी .यहाँ तक की कई देवताओं तक को दाढी वाला माना जाता था .अपने आदि देव शंकर महराज ही लंबे जटा जूट वाले दिखाए जाते थे .प्राचीन मिस्र के धार्मिक अनुष्ठानों पर धर्मदूतों की लम्बी दाढी लोगों को आकर्षित करती थी .यह उनकी कुलीनता और बुद्धि के स्तर का प्रतीक थी ।
दाढी महात्म्य के चलते ही कई पुरानी सभ्यताओं -पर्सियन ,सुमेरियन ,असीरिया तथा बेबीलोन के शासक अपने दाढियों के साज सवार में काफी समय जाया करते थे .दाढी पर तरह तरह के रंग रोशन ,इत्र ,तेल फुलेल लगाए जाते थे .कहीं कहीं तो दाढी पर स्वर्ण कणों की फुहार भी होती थी
स्वैच्छिक तौर पर दाढी मूछ मुड़वाने की शुरुआत ईश्वरीय सत्ता के सामने दास्य भाव के प्रदर्शन से हुई लगती है .फिर प्राचीन ग्रीस और रोम की सेनाओं में दाढी को सफाचट रखने का फरमान जारी हुआ जिससे दुश्मनों से आमने सामने के टक्कर में कहीं सैनिक अपनी दाढी को नुचने से बचाने के ऊहापोह में मात न खा जायं .कहते हैं कि सिकन्दर महान ने अपनी सेना के लिए यह स्थायी आदेश दे दिया था कि कोई भी सैनिक दाढी मूंछ नहीं रखेगा .जिससे उसके सैनिक बेखौफ लड़ सकें .सेनापति को युद्ध के मैदान में इसतरह अपने युद्ध रत सैनिकों के पहचान में सुभीता हो गया .
इसतरह दो तरह के रिवाज शुरू गए -एक दाढीवाला दूसरा बिना दाढीवाला ! अब अपने अपने रोल माडल या मुखिया की तरह दाढी रखने या दाढी सफाचट रखने का फैशन शुरू हो गया .एक फ़्रांसीसी राजा ने अपने ठुड्डी के घाव को छुपाने के लिए दाढी उगा ली -फिर क्या था उसके अनेक अनुयायी भी ठीक उसी तरह दाढी रखने लगे -शायद फ्रेंच कट दाढी इसी के चलते फैशन में आयी .मगर इन ख़ास वर्गों के अलग लोग बाग़ दाढी रखने से परहेज करने लगे .मगर एलिजाबेथ के काल का एक समय ऐसा भी था कि दाढी रखने वालों पर टैक्स लगाया जाने लगा -जिसके चलते दाढी जहाँ आम आदमी के चेहरे से विलोपित होती गयी वही धनाढ्य वर्ग की पहचान भी बनती गयी जो टैक्स चुका कर भी दाढी रख रहे थे .भारत में भी ढोंगी संन्यासी भगवान् के नाम पर अपनी दाढी मूछ मुड़वाने लगे -मूछ मुडाई भये संन्यासी !
अभी कुछ और भी है .......

12 comments:

विजय गौड़ said...

दाढी को भी यदि खूब सजाया संवारा जाये तो फ़िर उसे रखने का मतलब ही क्या मिश्रा सहाब ! दाढी की तो सहूलियत ही इसमें है कि रोज रोज की खुरचन से बचा जाये और इस सबमें लगने वाले समय को जाया होने से बचाया जाये। यह फ्रेंच कट-वट तो उन खास किस्म के लोगों का मामला है जो यदि यह जान लें कि बिना दाढी के भी वे ज्यादा गुडी-गुडी लगते हैं तो वे वैसा ही करें। दाढी महात्म्य को लिखते हुए इस एंगल को ध्यान में रखियेगा। शेष शुभ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

क्यों जी? दाढ़ी का तबादला इधर मुखड़े के नीचे से सिर के ऊपर नहीं हो सकता क्या?

ताऊ रामपुरिया said...

"एक फ़्रांसीसी राजा ने अपने ठुड्डी के घाव को छुपाने के लिए दाढी उगा ली -फिर क्या था उसके अनेक अनुयायी भी ठीक उसी तरह दाढी रखने लगे -शायद फ्रेंच कट दाढी इसी के चलते फैशन में आयी"
अमिताभ बच्चन ने भी इसी लिए फ्रेंच कट दाढी रखनी शुरू की थी ! जो अब उनकी स्टाइल बन चुकी है ! दाढी पुराण बहुत हिट
जा रहा है ! चालू रखियेगा ! धन्यवाद !

भूतनाथ said...

हमारे तो दाढी है ही नही ! फ़िर भी हम ध्यान पूर्वक पढ़ रहे हैं ! क्या पता धरतीलोक पर रहते २ यहाँ के जलवायु में हमको भी आ जाए ! तो फ़िर काम आयेगा ये ज्ञान !

रंजू भाटिया said...

यह दाढी पुराण तो बढती दाढ़ी सा होता जा रहा है :) रोचक है ...इतनी बातें हैं इस पर बहुत बढ़िया :)

seema gupta said...

"ya its really interesting to about it, now also new generation they keep it in various different styles, great to know so much ..'

regards

Anil Pusadkar said...

सालों दाढी रखी जतन से मगर उसके बारे मे कुछ पता नही था। अब, जब दाढी कटवा चुके तो सारी बातें पता चल रही है।रोचक पोस्ट्।

अभिषेक मिश्र said...

Dadhi rakhna to mere jaise kai log pasand karte hain, magar is par itna socha na tha.Bharat mein to dadhi-much kai karmakand se bhi jude hue hain. Unke auchitya par charcha ki bhi apecha hai.

Ghost Buster said...

दाढ़ी रखने पर टैक्स? अब तो दाढी मुंडाने पर टैक्स रखा जाए तो सरकार को ज्यादा आमदनी हो सकेगी.

कई बार देखा है कि जैसे जैसे सर के केश साथ छोड़ने लगते हैं कुछ लोग दाढी बढाकर उस हानि की भरपाई करने का प्रयास करते हैं. कहीं तो कुछ ढंका छुपा रहे.

रोचक पोस्ट. आगे का इन्तजार है.

Gyan Dutt Pandey said...

दाढ़ी रखना या न रखना - कभी विचार ही न किया। कोई सज्जन यह कह सकते हैं कि उसको काटने में होने वाले खर्च को इनवेस्ट करें तो एक गरीब का पालन-पोषण हो जाये!

राज भाटिय़ा said...

दाढी रखने का विचार कभी मन मे ऊठा ही नही,वेसे दाढी का मजा तो दाढी वालो से ही पता चलेगा, कि भाई इतना पंगा किस लिये बाल तो सर पर ही अच्छे लगते हे फ़िर ....
धन्यवाद

arun prakash said...

दाढ़ी न रखने वाले लोग आपके पोस्ट को अमज़िंग व जानकारी वाला बता कर खुश हो रहे हैं लेकिन मेरी एक जिज्ञासा है की पुरुषों के लिए दाढीजार कह कर महिलाओं ने जो पुरुषों को नीचा दिखाना शुरू किया उसका व्यवहारशास्त्री क्या विवेचना करत्ते हैं क्या इसकी साम्यता कहीं और से तो नहीं है
होशियार बच्चो को कहा जाता है कि इसके पेट में दाढी है इसका उद्गम कहाँ से हुआ होगा इस बात के लिए आपको धन्यवाद कि आपने दाढी रखने वालों का विभिन्न तरीकों से सम्मान रखा है | वैसे मेरे मतानुसार दाढ़ी रखने वाले लोग किसी भी विषय में ध्यान अच्छी तरीके से लगा सकते हैं क्यों कि उन्हें बार बार अपना मुख निहारने , शेव कराने कि बीबी से दूरी बनाये रखने कि जो आजादी प्राप्त होती है वह उस समय का अच्छा उपयोग अपने चिंतन और शोध में कर सकता है शायद इसी कारन से अच्छे दार्शनिक व वैज्ञानिक जिन्हें हम सम्मान देते हैं वे प्रायः सभी दाढ़ी युक्त थे