नारियां तोंद मुक्त होती हैं .उनके पेट की बनावट ही कुछ ऐसी होती है कि मोटी से मोटी महिला भी तोंद रहित लगती है। यहाँ तक कि गर्भ धारण में भी उनके पेट का आकार तोंदनुमा नहीं दिखता। वसा के अधिक जमाव के बावजूद भी उनका पेट आगे निकले के बजाय चौड़ाई में फैलता है और कूल्हों को घेर लेता है। पुरुष की तुलना में नारी का पेट अधिक लम्बा व गोलायमान होता है, नाभि और गुप्तांग के बीच की दूरी भी अधिक होती है।
महिलाओं के पेट की इसी सुघड़ता ने कला चित्रकारों का मन हमेशा आलोडित किया है, जो इस नारी अंग को पुरुषों के लिए लैंगिक आकर्षण का एक पसंदीदा विषय मानकर अपनी तूलिका को गति देते रहें हैं। यहाँ (पापी) पेट का सवाल एक दूसरे नजरिये से उभरता है और कितने ही नारी ``माडल´´ अपने सुघड़ पेटों की बदौलत ऐश्वर्य सुख भोगती हैं। उनकी इस पेट की कमाई में उनकी नाभि का योगदान कुछ कम नहीं है।
दरअसल नारी पेट की कामोद्दीपकता में उसकी नाभि चार चाँद लगाती है। नारी की नाभि की आकृति गोलाकार अथवा लम्ब रूप (वर्टिकल) हो सकती है। मोटी महिलाओं की नाभि ज्यादातर मामलों में गोलाकार तथा पतली महिलाओं की नाभि लम्बरूप लिए होती हैं। लम्बरूप नाभि सौन्दर्यबोध के पैमाने पर ज्यादा आकर्षक लगती है, अत: नारी मॉडलों में प्राय: नाभि का आकार लम्बरूप ही होता है। व्यवहार विज्ञानी नाभि के इस लम्बरूप आकार की लोकप्रियता में उसका योनि -साम्य होना पाते हैं। चूंकि नारी की नाभि योनि प्रतीक बन गयी है अत: वह पुरातन ,वादियों परम्परावादियों की आंखों में खटकती रही है।
``द अरेबियन नाइट्स´´ फिल्म के निर्माताओं पर सेन्सर का वज्रपात `नाभि प्रसंग´´ को लेकर हुआ था। सेन्सर ने फिल्म की नृत्यांगनाओं के नाभि प्रदर्शन पर कड़ी आपत्ति की थी और कई नाभि प्रदर्शक नृत्यों को फिल्म से निकलवा दिया था। हालीवुड फिल्मों में भी नाभि प्रदर्शन पर एक बार प्रतिबन्ध लग चुका है। काम क्रीड़ा की कई पुस्तकों में नारी की नाभि को लघु योनि के रूप में भी चित्रित किया गया है।
एलेक्स कम्र्फट द्वारा लिखित और मेरी आल टाइम पसंदीदा रही मशहूर सेक्स विषयक विज्ञान सम्मत सचित्र पुस्तक ``द ज्वॉय आफ सेक्स´´ में नाभि की कामोद्दीपक भूमिका पर रोशनी डाली गयी है।[हाईली रेकमेंडेड ]``बेली नर्तकिया¡´ अपनी विभिन्न नृत्य मुद्राओं में नाभि को उत्तेजक ढंग से प्रदर्शित करती दिखायी देती हैं .और अब तो नाभि के अलंकरण का दौर भी शुरु हो चुका है- नाभि-नथुनियाँ भी कितनों के दिल पर सीधे वार कर रही हैं .
11 comments:
लगता है आप लोगों की सोन्दर्यदृष्टि को विकसित कर रहे हैं। पुरुषों और नारियों दोनों की।
ज्ञानसरिता से बूँदे उठा उठा कर आचमन कर ले रहा हूँ. :)
बन्धु वास्तव में नाभि ही कामोद्दीपना की असली चाभी है जैसे मूलाधार से सहस्रार तक की यात्रा के कई चक्र हैं उसी प्रकार की काम केलि यात्रा में यह अन्तिम विश्राम स्थल है जहाँ से पुरुषार्थ की कठिन परीछा शुरू होती है वैसे आपके इस कथन से मैं पुरी तरह आस्वस्त नहीं हू की नाभि का आकार व योनी में साम्यता है क्यों की कुछ नाभियाँ तो देखने में इस कदर अनाकर्षक होती हैं की वैसी योनी आकार में सेक्स की भावनाएं ही तिरोहित हो जायें जैसे ashwarvya की नाभि को देख कर अश्वा की prishtakriti की kalpana की जा सकती है हाय रे अभिषेक तेरी किस्मत क्या येही दिन देखना था
वैसे दुनिया में दो ही चीजे मनुष्य को परेशान कराती है तृप्ति के लिए एक नाभि के ऊपर और एक नाभि के नीचे वैसे सौंदर्य विवेचना के विवीन्हा आयामों को स्पर्श कर उद्दीप्त कराने का प्रयास बेहतर बन पडा है साधु साधु
वास्तव में नाभि उद्दीपक है। ढ़ाई दशक पहले आरक्षण कार्यालय में लाइन में लगी नाभिदर्शना साड़ी पहने वह अपरिचित महिला आज भी मुझे याद है। उसकी पीले रंग की साड़ी भी।
नाभि उद्दीपक न होती तो वह याद न होती।
एक बार यह नहीं समझ में आ रही है कि आपकी इस श्रंख्ला में महिला सौन्दर्य की बात हो रही है, पर महिला टिप्पणीकारों की उपस्थित नगण्य है। इसे क्या कहा जाए।
nabhi ke bare me logo ko kam jankari hai mai nabhi ke bare me kai jankariya de sakta hu aap hamare EMAIL- battely2@gmail.com par mel kar jankari le sakte hai
nabhi ke bare me dekhye
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