Sunday, 20 July 2008

भई गति कीट भृंग की नाई..... !!

यह है कीट भृंग गति !
भारतीय विद्या भवन मुम्बई की आमुख हिन्दी पत्रिका नवनीत के ताजे जुलाई अंक में उक्त शीर्षक का मेरा लेख प्रकाशित हुआ है ।
यह रामचरित मानस के उस प्रसंग के उल्लेख से आरम्भ होता है जब रावण मारीच को स्वर्ण मृग बन कर सीता हरण की योजना में मदद करने को बाध्य करता है ,लेकिन मारीच यह कहकर अपनी असमर्थता प्रकट करता है -

भई गति कीट भृंग की नाई..... जह तंह मैं देखऊँ दोऊ भाई !

दरअसल नवनीत का उक्त लेख मेरी उस अर्धाली के अर्थबोध की लम्बी प्रक्रिया और शोध का फल है ।

आध्यात्म में कीट भृंग गति की बड़ी चर्चा है .आख़िर यह कीट भृंग गति है क्या ?

उक्त लेख में यही विस्तार से विवेचित है .वैस्प-ततैये [बिलनी] की कुछ प्रजातियाँ घरों में मिट्टी के घरौदें बनाती हैं .चूंकि इनका जीवन बस कुछ माह का ही होता है ये घरौंदे बनाकर उसमें अंडे देकर अल्लाह मियाँ को प्यारी हो जाती हैं -अंडे से निकल कर आख़िर इल्लियों को खिलायेगा कौन -मान बाप तो गुजर चुके .इसलिए ततैये कुछ किस्म के कीटों को अपने डंक से मारकर उसी घरौंदे में डाल कर ,घरौंदे का मुंह बंद कर अपने दायित्व के इतिश्री कर लेते हैं ।
अपने डंक से जो रसायन वे कीटों में छोड़ते हैं उनसे कीट मरता नही बल्कि एक तरह की पैरालाईजड अवशता की स्थिति मे जा पहुंचता है .अब वह चूंकि मरा नही है अतः सड़ता गलता नही .ततैये के अंडे से फूट कर निकले बच्चे रखे रखाए भोज की दावत उडाते हैं और फिर अपने मात्र एक वर्ष के जीवन की लीला आरम्भ कर देते हैं ।

कीट भृंग के इस व्यवहार ने सदियों से प्रकृति प्रेमी संत मुनियों को आकर्षित किया होगा और उन्होंने इससे जुडी आध्यात्मिक उपमाएं सोची विचारी होंगी -

मारीच का कहना है कि उसकी गति तो राम लक्ष्मण को देखते ही भृंग के सामने कीट सी हो जाती है -वह बेबस और लाचार है .उसे ताड़का वध के समय राम के उस बाण की याद आती है जिसने उसे सौ योजन दूर जा पटका था ।

नवनीत का लेख थोडा और विस्तृत सन्दर्भों को समेटे हुए है .कहीं मिल जाए तो पढ़ना चाहें .

5 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

कल खरीदतें है जी नवनीत को। कहीं खतम न हो गया हो स्टॉल पर।

दिनेशराय द्विवेदी said...

कल हम भी नवनीत देखते हैं।

Udan Tashtari said...

यहाँ तो नवनीत आती नहीं.

अनूप शुक्ल said...

आप नवनीत वाले लेख को अपने ब्लाग पर डालिये न!

admin said...

अमित से भी इस पर चर्चा हुई थी, पर नवनीत की अनुपलब्धता आडे आ गयी। अब तो लगता है किसी से फोटोकॉपी मांग कर काम चलाना पडेगा।