Friday, 4 April 2008

शहर मे सांप !


शहर मे सांप !
अज्ञेय की एक कविता याद आती है -सांप तुम कभी सभ्य नही हुए और न होगे ,शहरों मे भी तुम्हे बसना नही आया ,एक बात पून्छू उत्तर दोगे ?कहाँ से सीखा डसना कहाँ से विष दंत पाया ?
यह कवि सत्य भले ही मनुष्य पर एक गहरा कटाक्ष है किंतु कवि का यह कहना कि 'सांप को शहर मे बसना नही आता सच नही निकला .एक सांप ने बनारस जैसे भीड़ भाड़ वाले शहर के आई पी माल सिगरा के सामने की कालोनी की पहली मंजिल के एक कमरे से निकल कर महान साहित्यकार के प्रेक्षण को झुठला दिया .
बनारस टाईम्स ऑफ़ इंडिया के छायाकार श्री राकेश सिंह जी ने मुझे अल्लसुबह फोन कर आज बताया कि उनके आई पी माल सिगरा के सामने की कालोनी की पहली मंजिल वाले फ्लैट से एक सांप निकला है जिसे उन्होंने संभाल कर शीशे के मर्तबान मे रख छोडा है .उन्होंने आग्रह किया कि मैं उसे पहचान कर कम से कम यह सुनिश्चित कर दूँ कि वह जहरीला है या नहीं .
मैं भागा भागा वहाँ पहुंचा ,साथ मे उत्सुकता वश मेरी बेटी प्रियषा भी अपना कैमरा और रोमुलस व्हिटकर तथा पी जे देवरस की साँपों पर पुस्तक लेकर साथ हो ली.
सांप पहचान लिया गया जो कामन वोल्फ स्नेक निकला -यह आदतन मानव साहचर्य मे और यहाँ तक कि शहरों मे भी मानव बस्तियों को रहने के लिए चुनता है -विषहीन है मगर सामने के दांत काफी बड़े होने के कारण ही इसे वोल्फ यानी भेडिया का संबोधन मिल गया है -क्योंकि भेडिया के दांत लंबे होते हैं .यह सांप उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल मे मिलता तो है लेकिन आश्चर्य है कि लोगों को इसके बारे मे मालूम नही है .इसे अक्सर करईत मानकर मार दिया जाता है क्योंकि करईत सबसे जहरीला सांप है .
आप भी इस सांप को ध्यान से देख लें क्योंकि अगली बार जब इसे देंखे तो कृपया इसे कदापि न मारे या न मारने दें क्योंकि यह बिल्कुल विषहीन और बड़ा प्यारा सा सांप है -यह आसानी से पालतू भी बन जाता है .राकेश जी ने इसे पालने का फैसला कर लिया है .
फोटो मेरी बेटी प्रियषा कौमुदी ने उतारी है .

5 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

चलिये आपने एक सभ्य सांप से परिचय करा दिया। वैसे देखने में भय तो लग रहा है।
वैसे अज्ञेय की कविता का कौतूहल तो है - कौन सा शहरी सांप है जो जहरीला है - कुटिल आदमी से भी अधिक!

Gyan Dutt Pandey said...

और हां, बिटिया को भय नहीं लगा फोटो लेते! :)

अनिल रघुराज said...

अज्ञेय की कविता से शुरू करके आपने पूरा समां बांध दिया। वाकई एक सामान्य-सी घटना के भी निहितार्थ बड़े व्यापक होते हैं।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Bahut Khoob.
Ye bilkul naya prayaas hai. Aapko aur Priysha ke saahas ko salaam karta hoon.

Unknown said...

Priyasha jee kab se ye kaam karne lagi...Nagraaj comics ka bhoot sawar ho gaya kya....bahut clear photo hai...and thanks sir for informing us about a poisonless Common Wolf snake...it was great piece....