विगत ७-८ मार्च को नयी दिल्ली मे नेशनल इन्सटीचयूट आफ साईंस ,टेक्नोलॉजी एंड डेवलेपमेंटल स्टडीज [NISTADS] की पहल पर आम जनता की वैज्ञानिक समझ के मुद्दे पर एक अंतररास्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ .यह पिछले वर्ष लंदन की रायल सोसायटी द्वारा आहूत वैज्ञानिक समागम की ही भारतीय आवृत्ति थी .मैंने भी इस आयोजन मे शिरकत की .इसमे विमर्श का मुद्दा यह था कि आम लोगों की विज्ञान संबन्धी समझ को कैसे मापा जाय ? कैसे ऐसे सार्वभौमिक संकेतांक विकसित किए जायं जो विभिन्न सांस्कृतिक विभिन्नताओं के बावजूद भी दुनिया भर मे लोगों के विज्ञान की समझ का एक आकलन कर सके .दुनिया भर से आए विज्ञान संचारकों और इस विषय पर शोध कर रहे विद्वानों ने अपने अपने शोध माडल प्रस्तुत किए जो ज्यादातर सान्खिकीय प्रस्तुतियां थी और मेरे जैसे साधारण सी प्रतिभा वाले व्यक्ति की समझ के परे थे ।
लेकिन इस विषय पर अब अध्ययन की शुरुआत भारत मे हो चुकी है और रिचक परिणाम सामने आयेंगे जैसे के केरला मे लोगों की विज्ञान संबन्धी समझ एनी राज्यों की तुलना मे अच्छी है जबकि बंगाल मे यह काफी कम है ,बिहार से भी कम /अपना उताम प्रदेश भी कयिओं से आगे है -अब यह गोबर पट्टी नही कही जायेगी .
4 comments:
अच्छा!
उत्तरप्रदेश का विज्ञान ग्राह्यता इण्डेक्स अन्य कई राज्यों से अच्छा है?! यह तो अपने आप में खबर हुई और भविष्य के प्रति आशा भी जगाती है।
'बंगाल मे यह काफी कम है ,बिहार से भी कम' आश्चर्य हुआ।
आपने काफी आश्चर्यकचित करने वाली जानकारी है। उत्तरप्रदेश का विज्ञान ग्राह्यता इण्डेक्स जानकर थोडी सी खुशी भी हुई। इस खुशी को प्रदान करने के लिए शुक्रिया।
इस सम्मेलन का उद्देश्य बहुत महत्व का था| इसके परिणाम भी आश्चर्यजनक हैं। ऐसे और भी अनेक मुद्दों पर हिन्दी में लिखते रहें| हिन्दी में इस तरह के विचार-विमर्श और संचार की बहुत जरूरत है।
Post a Comment