Sunday, 30 September 2007

आस्था और विज्ञान:साइब्लाग की भूमिका

आस्था और विज्ञान को लेकर इन दिनों काफी चर्चाएँ हो रही हैं .यह एक जटिल विषय है .सवाल यह है कि क्या मानव मस्तिष्क की सबसे खूबसूरत और परिस्कृत खूबी-तार्किकता को दरकिनार कर हमे आस्था का दामन ही थामे रहना चाहिए ?अगर ऐसा होता तो हम गुफा जीवन से आगे नही बढ़ पाते. आज हम जिस मुकाम पर हैं अपनी तर्क शक्ति के सहारे हैं .आज हमारे सामने इन तमाम सवालों के सही जवाब मौजूद हैं कि बादल क्यों गरजते हैं ,पानी क्यों बरसता है?सूर्य और चंद्र ग्रहन क्यों लगता है?आज इन मामलों मे इंद्र ,राहू केतु की कोई भूमिका नही है .हाँ कभी हमारे ज्ञानी पुरखों ने लोगो की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए रोचक जवाबों को ,मिथकों को रचा था .उनकी कल्पना शक्ति अद्भुत थी .लेकिन हम आज भी उन्ही जवाबों को लकीर के फकीर की तरह मान लिए बैठे हैं ,अपनी आस्था से जोडे हुये हैं .आज के ज्यादातर मिथक हमे मनुष्य की उर्वर कल्पना शक्ति की एक झलक दिखाते हैं. उनमें तत्कालीन विज्ञान की समझ भी हो सकती है ,मगर आज के विज्ञान की जानकारियों के मुताबिक उन्हें अद्यतन करने के बजाय हम उन्हें जस का तस् स्वीकार किये बैठे हैं -आस्था के नाम पर.

आज के विज्ञान से जोड़कर हमअपनी अतीत की अनेक आस्थाओं को नया कलेवर दे सकते हैं ,नए आयाम दे सकते हैं .ठोस आधार देकर उनकीपुनर्रचना कर सकते हैं.आज का विज्ञान ही दरअसल मानवता की सबसे बड़ी आस्था होनी चाहिए . हाँ, मानव चमत्कार और अनुष्ठान प्रेमी भी है ,तो उसके लिएभी विज्ञान सम्मत रास्ते हैं.आज भगवान् आनलाइन हैं ,शमसान के बजाय आधुनिक दाह गृह हैं जो हमारीअनुष्ठान प्रियता को बनाए रख कर भी हमारे मनचाहे कर्मकांडों को पूरा कर सकते हैं .आस्था के नाम पर हम कब तक पुरातन अवशेषों को सर पर लिए फिरतें रहेंगे .रही धर्म और विज्ञान की बात तो उसकी भी चर्चा हम इस ब्लॉग की भूमिका मे आगे करेंगे .

साईब्लाग [sciblog]: साईब्लाग का नामकरण !

साईब्लाग [sciblog]: साईब्लाग का नामकरण !

Saturday, 29 September 2007

साईब्लाग का नामकरण !

मेरे अनुज और मित्र जाकिर ने http://zar-lit.blogspot.com/2007/05/zakir-ali-rajneesh.html सुझाया है कि मैं राम सेतु जैसे विषयों की चर्चा अपने ब्लॉग ://indiascifiarvind.blogspot.com/पर न करूं .ठीक भी है वह ब्लॉग विज्ञान कथा को समर्पित है ,इतर विषय शायद उसके अनुरूप नही हैं.यही सोच कर और एक मित्र के अनुरोध पर ऐसे विज्ञान के विषय जो आम आदमी से क़रीब हों ,इस नए ब्लॉग के विषय बनेंगें.
मगर साईब्लाग नामकरण क्यों ?मैं पहले तो वही शेक्स्पीरियन जुमले का इस्तेमाल कर अपनी जान छुडाना चाहूंगा -नाम मे क्या रखा है ,मगर शायद कुछ चिट्ठाकार भाई इससे संतुष्ट न हों इसलिए कुछ और भी अर्ज है-
यहाँ साई का अर्थ विज्ञान से है साईंस से साई और उससे ब्लॉग को जोड़ कर बन गया है- साईब्लाग।मतलब विज्ञान की नित नयी खबरों पर मेरी अपनी समझ के मुताबिक़ टीका टिप्पणी ।मैंने इस ब्लाग के नामकरण पर काफी सोचा विचारा ,हिन्दी मे कुछ रखने का प्रयास किया ,पर हिन्दी चिट्ठाकार भाइयों ने कोई कोर कसर ही नही बाकी रखी है जिससे मैं इस नए ब्लॉग का नाम हिन्दी मे रख पाता.
मेरा मानना है कि ब्लॉग एक खुली डायरी है ,वेब दुनिया का एक सर्वथा नया प्रयोग .अभिव्यक्ति का एक नया दौर .एक डायरी चिट्ठा कैसे बन गयी /या बन सकती है मेरा मन स्वीकार नहीं कर पा रहा.फिर चिट्ठे से कच्चे चिट्ठे जैसी बू भी आती है .मगर चूँकि नामचीन चिट्ठाकारों ने इस पर मुहर लगा दी है और यह शब्द भी अब रूढ़ सा बन गया है मैंने पूरे सम्मान के साथ असहमत होते हुए भी इसे स्वीकार तो कर लिया है पर अपने हिन्दी ब्लॉग पर इस प्रयोग के दुहराने की हिम्मत नही कर पाया -इसलिए देवनागरी मे ही अंगरेजी के शब्दान्शों को जोड़ कर काम चलाने की अनुमति आप सुधी जनों से चाहता हूँ.इस ब्लॉग पर मैं विज्ञान के विविध विषयों पर अपना दिलखोल विचार रख सकूंगा .यह ब्लॉग तो अभी इसके नामकरण पर ही आधारित है .आगे विज्ञान की चर्चा होगी .