आकाश में एक
हप्ते से आँखें गड़ाए रखने के बावजूद भी जब पैनस्टार्स धूमकेतु नहीं दिखा तो आज मैंने हार मान ही ली .वैसे
दो एक दिन तो बादलों की धमाचौकड़ी ने खेल बिगाड़ा मगर यह अब साफ़ हो चला है कि यह
नंगीं आँखों से नहीं दिखने वाला . अब तो इसकी सूरज के आँगन से वापसी भी
शुरू हो चुकी है , मैंने अपने
7 गुणे पचास की क्षमता वाले
बायिनाक्यूलर से भी काफी प्रयास किया मगर इस धूमकेतु को नहीं दिखना था तो नहीं दिखा . दिनेशराय द्विवेदी जी भी कोटा से
इसे देखने के प्रयास में अपनी कई शामें छत पर गुजार चुके हैं और कल इसके लिए एक विशेष प्रयास पर
निकलने वाले हैं -उन्हें शुभकामनाएं! मगर इस
धूमकेतु ने निराश किया है , वह धूमकेतु या पुच्छल तारा ही क्या जो सब
लोगों को नंगीं आँखों से न दिख जाय और सभी को अपनी लम्बी पूँछ से रोमांचित
कर दे।
कहने को तो यह धूमकेतुओं का वर्ष है मगर अब तक सूरज
के पास आये लेम्मन और पैनस्टार्स धूमकेतुओं ने निराश किया है ,अब सारी आशा
केवल इसान से है जो इस साल के आखीर में आसमान में जलवा फरोश होगा।
उम्मीद है यह नंगीं आँखों से खूब दिखेगा। आईये एक नजर फिर इस वर्ष के
धूमकेतुओं पर डालते चलें .
लेम्मन
इस वर्ष पैनस्टार्स (PANSTARRS
,C/2011 L4) और
इसान (ISON ,C/2012 S1) की बड़ी चर्चा है जो नंगी आखों से
सीधे देखे जा सकेगें . दुर्भाग्य से पैनस्टार्स ने निराश किया है . एक और अन्तरिक्षीय घुमक्कड़ भी माह फरवरी में ही सहसा दिखाई पडा जिसका
नाम है -लेम्मन ( Lemmon ,C/2012 F6) .इसे माउंट लेम्मन एरिज़ोना के अलेक्स गिब्ब्स ने मार्च 2012 में ही ढूंढ निकाला था। तब यह सूर्य की पृथ्वी से दूरी के
भी पांच
गुना अधिक दूर था ,
मगर विगत फरवरी
माह (2013) में यह सौर सीमा के काफी भीतर तक आ गया और धरती से दूरबीन के सहारे दिखने लग गया था। मगर
दक्षिणी गोलार्ध में ही बाईनाकुलर से दिख पाया।और इसकी चमक(कान्तिमान)
6.2 से 6.5 के बीच रही-मतलब नंगी आँखों से
ठीक ठीक न दिख पाने की स्थिति। यह सूरज के सबसे
करीब मार्च 24,
2013 को आया और यह
दूरी धरती की सौर कक्षा से तनिक कम थी . यह मई 2013 में सूर्य सामीप्य से अपनी वापसी के दौरान फिर टेलीस्कोप के जरिये दिख
सकेगा .
पैनस्टार्स
लेम्मन की सूर्य से मुलाकात कर वापसी अभी हुयी ही थी कि एक और धूमकेतु आ धमका -पैनस्टार्स -यह नामकरण इसे ढूँढने वाले टेलीस्कोप के नाम (Pan-STARRS) पर पड़ा। मार्च माह में यह कुछ कुछ शुक्र ग्रह के कान्तिमान का हो गया था . पांच मार्च 2013 को यह अपने भ्रमण पथ पर धरती के सबसे नजदीक (1.10 Astronomical Units, AU) आ पहुंचा था। एक ऐ यू धरती से सूर्य की दूरी का सममान है . मतलब यह धूमकेतु धरती से सूरज की दूरी से भी अधिक दूरी से हमसे दूर ही रहा और अब तो और भी दूर होता जा रहा है!
पैनस्टार्स विगत 10 मार्च को सूर्य के संबसे करीब था -इतना अधिक पास जैसे सूर्य और बुध के बीच का फासला हो (0.30 ऐ यू ) यानी साढ़े चार करोड़ किलोमीटर। यही वह समय था जब इसकी चमक तेज हुयी थी और पूछ का निर्माण भी अस्तित्व में आ चुका था .यह मार्च माह में सूर्यास्त के पश्चात पश्चिम दिशा में कई देशों से क्षितिज पर दिखता रहा . मार्च 12 ,13 और 14 को यह चंद्रमा के पास दिखा .फिर उत्तर की ओर धीरे धीरे क्षितिज के और ऊपर होता गया। इसकी पूछ और खुद इसे बाईनाक्युलर से ही ठीक तरह से देखा जा सकता है . पैनस्टार्स एक अन -आवधिक पुच्छल तारा है -मतलब यह पिछली बार कब आया था और आगे कब आएगा इसका कोई निश्चित समय काल ज्ञात नहीं है . यानि यह "वंस इन अ लाईफ टाईम" का मौका अपने दर्शकों को दे चुका है।
इंतज़ार है एक धुंधकारी धूमकेतु इसान का
अगली सर्दियों तक एक धुंधकारी
धूमकेतु धरतीवासियों के
लिए कौतूहल का विषय बनने वाला है और कहते हैं कि
अब तक के धूमकेतुओं में वह सबसे भव्य और
चमकदार होगा . किन्तु कई खगोलविद यह भी कहते हैं कि कोई धूमकेतु कैसा दिखेगा यह शर्तिया तौर पर पहले से नहीं
कहा जा सकता -क्योकि पिछले
हेली और
केहुतेक पुच्छल तारों का प्रदर्शन
निराशाजनक
रहा था .नए ढूंढें पुच्छल तारे के इसान (ISON) के बारे में भी कुछ ऐसे ही उहापोह हैं -किन्तु इसके खोजी शौकिया खगोलविदों आरटीओम
नोविचोनोक (बेलरस ) और विटाली नेवेस्की(रूस) का मानना है कि यह एक भव्य प्रदर्शनकारी
धूमकेतु बनेगा! बोले तो पूरा धुंधकारी . इसे इसलिए ही अंतर्जाल पर ड्रीम कमेट कहा जा रहा है .यानी
धूमकेतुओं के चहेतों के कितने ही सपनो को साकार कर
जायेगा ईसान!