Friday, 25 January 2008

अन्तरिक्ष की उड़ान के लिए तैयार नए पर्यटक विमान !


अन्तरिक्ष की उड़ान के लिए तैयार नए पर्यटक विमान रनवे पर बस तैयार हो रहे हैं ,एक बानगी तो यही है .भारतीयों के लिए तो एक रियायती आफर भी है .ब्रितानी मूल के अन्तरिक्ष व्यवसायी रिचर्ड ब्रैंसन ने स्पेसशिप-2 अन्तरिक्ष की देहरी तक सैर सपाटे के लिए भारतीय पर्यटकों को दो लाख डालर-तकरीबन 80 लाख रुपये के एक किफायती `स्पेस टूर´ पैकेज का शुरूआती आफर दिया है। यह किफायती पैकेज उनकी निजी कम्पनी वर्जिन गैलेिक्टक की भारतीय शाखा `स्पाजियो´ के जरिये मुहैया होगी। बुकिंग शुरु भी हो गयी है। विर्जिन गैलेिक्टक इन अन्तरिक्ष पर्यटकों को विधिवत प्रशिक्षण भी देगी। लाइन में लगे सौ लोग प्रशिक्षण प्राप्त भी कर चुके हैं। आप भी ज्यादा सोच विचार न कीजिए यदि टेंट में माल हो तो जीवन के इस एक बारगी अनुभव के लिए अभी से लाइन में लग लीजिए। कौन जाने आपका नम्बर आते आते किसी भारी किफायती पैकेज का लाभ ही आपको मिल जाये!

Thursday, 24 January 2008

मंगल पर निर्वस्त्र महिला की मटरगस्ती ?



अखबारों मे आज का यह सनसनीखेज मामला अब सरेआम चर्चा का विषय बन चुका है -मंगल की सतह पर यह निर्वसना मोहक आलिंगन की मुद्रा लिए न जाने किसकी आतुर प्रतीक्षा कर रही है !यह खबर नेचर डाट काम वेब -द ग्रेट बियांड पत्रिका- http://blogs.nature.com/news/thegreatbeyond/2008/01/no_bigfoot_does_not_live_on_ma.htmlपर भी आ चुकी है -यह अकेली महिला मंगल पर क्या कर कर रही है जहाँ ९० फीसदी सीओ -२ है और बस नाम मात्र की प्राणवायु ,तापक्रम शून्य के नीचे और वायुदाब धरती से काफी कम !यह मामला भी धरती के येती जैसा है जो तमाम दावों के बाद भी आज तक प्रामाणिक तौर पर न तो देखा जा सका और न ही पकडा जा पाया है . इस चित्र को लेकर दावे प्रतिदावे शुरू हो चुके है -कोई इसे चट्टान का हिस्सा माने है तो कोई इसे मोहक आमंत्रण देती मंगल की नारी मान रहा है -मैं तो इसे चट्टान का ही एक भाग मान रहा हूँ जिसे शरारतपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है - दाद देनी होगी मानव की कल्पना की कि वह ऐसे चित्र विचित्र रचनाओं मे कुछ ढूंढ लिया करती है -यह प्रवृत्ति मनोवैज्ञानिकों की भाषा मे पेरिडोलिया कहलाती है -अभी हाल मे किसी परित्यक्त इमारत पर लोगों ने साई बाबा का चेहरा देखा तो कहीं से पदों मे गणेश की तस्वीर उभरी दिखाई दी
.यह मामल भी कुछ ऐसा ही है ,मगर लोगों को तो एक मुद्दातो मिल ही गया है अखिल ब्रह्माण्ड मे हम अकेले नहीं - नक्षत्रों से कौन निमंत्रण देता मुझको मौन ...कही यहीमहिला तो नही ?

Wednesday, 23 January 2008

घड़ियाल के सचमुच के आंसू !!


पशु प्रेमिओं के लिए यह सचमुच बड़ी बुरी खबर है कि घड़ियाल के ऊपर भारी शामत आ गयी है ,जिस पर महज अब घडियाली आंसू बहाने से काम नही चलाने वाला है -उनके आंसू अब नकली नही रह गए .एक बड़ी [बुरी] खबर है कि घडियालों के लिए मशहूर रास्ट्रीय चम्बल अभयारन्य के लगभग १०० घडियाल किसी रहस्यमय बीमारी से ग्रस्त होकर मर गए हैं .इस खबर को बी बी सी तक ने प्रमुखता दी है ।
घड़ियाल गंगा नदी प्रणाली का एक देशज प्रतिनिधि है ,इसके लंबे थूथन के अन्तिम छोर पर एक मिटटी की घरिया [अर्थेन पोट ] नुमा रचना होती है जिसके कारण इसे घड़ियाल कहा जाता है .यह अपने संबन्धी मगरमच्छ की तुलना मे बहुत कम खतरनाक होता है मुख्य रुप से मछली खाकर ही अपना जीवन यापन करता है -गंगा प्रणाली मे ही पाई जाने वाली यह प्रजाति-Gavialis gangetica सबसे संकट ग्रस्त जंतुओं की सूची मे है -आख़िर इनके इस तरह से मरने का क्या रहस्य हो सकता है ?क्या इनका मुख्याहार -मछलियाँ तो संदूषित तो नही हैं ?या फिर एक बात मुझे यह भी कौंधती है कि कही गिद्धों के लगभग लुप्त हो जाने के बाद चम्बल नदी के आसपास मरे हुए पशु -ढोर जिन्हें गीध पलक झपकते चट कर जाते थे अब इन कुदरती सफायीकर्मिओं के न रहने पर भारी मात्रा मे चम्बल मे फेंके जा रहे होंगे और इन मृत अनिस्तारित पशुओं के शरीर मे डिक्लोफेनिक दवा के अंश घरियालों के शरीर मे जमा होकर ठीक उसी भाति इनके गुर्दों को नाकाम कर रहा है जैसे इसी दवा ने गिद्धों का लगभग खात्मा ही कर दिया .हम जानते है कि डिक्लोफेनिक एक दर्द निवारक प्रतिबंधित दवा है फिर भी पशुपालक इनका अब भी प्रयोग कर रहे हैं ।
जो भी हो घडियालों की इन बेसाख्ता मौतों पर जल्दी ही कुछ करना होगा -पर किसे ???