Monday 16 March 2015

सोलर इम्पल्स 2: मनुष्य के आकांक्षाओं की अंतहीन उड़ान!

राईट बंधुओं द्वारा  गैस संचालित विमान की पहली उड़ान के सौ साल से भी अधिक समय के बाद फिर एक युगांतरकारी घटना घटी है.  स्विस अन्वेषियों ने पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित वायुयान को आसमान की उंचाईयों में ले जाने में ही सफलता नहीं पायी बल्कि इससे वे विश्व भ्रमण  पर भी निकल चुके हैं।  इस समय जबकि ये पंक्तियाँ लिखी रही हैं ऐंड्रे बोस्चबर्ग की कप्तानी में यह विमान भारत में आ पहुंचा है और अहमदाबाद के एयरपोर्ट से वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना होने वाला है .यहां अचानक मौसम ख़राब हो जाने  और बादलों  से आच्छादित आसमान के चलते सौर ऊर्जा चालित इस विमान का सहज संचालन बाधित हुआ है किन्तु मनुष्य की जिजीविषा को भला कौन पराजित कर पाया है!  ऐसी सम्भावना  है कि यह सौर विमान नाम सोलर इम्पल्स 2 है मंगलवार यानी 17 मार्च 2015 को वाराणसी एअरपोर्ट पर पहुंचेगा।


 सौर यान का मार्ग 

यह ओमान से उड़कर २८हजार फ़ीट  की ऊँचाई तक जा पहुंचा और अहमदाबाद एअरपोर्ट पर अपनी मौजूदगी  दर्ज की। यहाँ से बनारस और फिर चीन तथा फिर प्रशांत महासागर के ऊपर से कई दिनी यात्रा करके हवाई द्वीप पहुंचेगा।  यह पूरी तरह पारम्परिक ईधन रहित है. चार  इंजिन है जो विद्युत संचालित हैं और देने सोलर पैनल से युक्त हैं जहाँ से दिन की यात्रा के समय सौर ऊर्जा इनके जरिये बैटरियों में संचित होती रहती है और आवश्यकतानुसार विद्युत में तब्दील होती रहती है. पूरी यात्रा पांच महीने  की है  और इस दौरान यह अद्भुत यान 33,800 किमी की यात्रा  तय कर लेगा। 
सौर विमान के स्वप्नद्रष्टा बर्ट्रेंड पिकार्ड मनोविज्ञानी भी हैं और वे अक्सर भविष्य को वर्तमान तक खींच लाने की सोच में रहते हैं।  उन्हें ईधन रहित सौर संचालित विमान की सूझ तब  कौंधी जब वे सह पायलट ब्रायन जोन्स के साथ गुब्बारों से कई द्वीपों और शहरों के ऊपर से गुज़र रहे थे बिल्कुल जूल्स वेर्ने के "फाइव वीक्स इन अ बैलून" की ही तर्ज पर।  किन्तु ईधन संचालित यात्राओं में ईधन की आवश्यकता उन्हें एक बड़ा  अवरोध लगा।  उन्हें  लगा कि ईधन पर निर्भरता मनुष्य के विकास की एक बड़ी बाधा है। फिर क्या था वे एक ऐसे विमान के अन्वेषण में जुट गए  कोई भी पारम्परिक ईधन इस्तेमाल न हो।  सौर विमान के रूप में उनकी कल्पना साकार हो उठी है।  
सोलर इम्पल्स 2 : एक रेखाचित्र 
अपने अभियान में पिकार्ड को स्विस फ़ेडरल इंस्टीच्यूट आफ टेक्नलॉजी से मदद मिली। अभियान से जुड़े इंजीनियरों को जल्दी ही समझ  में आ गया कि सौर ऊर्जा संचालित विमान का आकार सोलर पैनलों की जरुरत के मुताबिक़ बहुत बड़ा होना चाहिए किन्तु वजन बहुत कम।  विमान  हर सूर्योन्मुखी सतह पर सोलर सेल लगाये जाने  की जुगत समझ में आयी -कुल १७ हजार सोलर सेल्स मनुष्य के बाल की मोटाई के बराबर लगाये गए।  डैनों की लम्बाई इस तरह २३६ फ़ीट जा पहुँची जो बोइंग 787-8 से भी अधिक है। यान बहुत हलके तत्व का है किन्तु अकेले बैटरियों के  235 किलो भार सहित कुल यान का भार 2,268 किलो है।  यह अपेक्षानुसार हल्का तो नहीं है किन्तु फिलहाल कामचलाऊँ है. 
 सौर ऊर्जा संचालित विमान के साथ हैं स्विस खोजकर्ता बेरट्रैंड पिकार्ड (बाएं) और ऐंड्रे बोर्श्चबर्ग
मनुष्य के आकांक्षाओं की यह नयी उड़ान  पंख पसार अब  आसमान की  ऊंचाइयां छू रही है!
 चित्र सौजन्य: नेशनल जियोग्राफिक 
 

1 comment:

Rashmi Swaroop said...

Seems to be a step ahead.. Thanx:)