Tuesday 6 July 2010

वह ब्रह्माण्ड जो अनादि ,अखंड ,अभेद है तस्वीर में समा सकता है भला -आप ही बताईये न !

यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी के एक सैटलाईट ने अन्तरिक्ष की  एक खूबसूरत सूक्ष्मतरंगीय फोटो उतारी है जिसे वे ब्रह्माण्ड की तस्वीर बताकर पुलकित हो रहे हैं ....चित्र वाकई खूबसूरत है ..बीच की उज्जवल पट्टी आकाशगंगा है और किनारे किनारे पर का प्रकाश महाविस्फोट की आदि किरणे हैं -सचमुच कितना रोमांचक ! 

 सैटलाईट से प्राप्त यह चित्र मैक्स प्लांक वेधशाला द्वारा जारी किया गया है ...इसके लिए अभियान मई २००९ में शुरू  किया गया था.आप जानते हैं कि सूक्ष्म तरंगे दृश्य प्रकाश की तुलना में लम्बी  तरंगदैर्ध्यो किन्तु कम बारम्बारता लिए होती हैं ....यह पूरा मानचित्रण इन्ही तरंगो की ही सहायता से किया हुआ है .


आज सभी अखबारों में भी यह खबर सुर्ख़ियों में है .दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट जो मुझे पसंद आई ,जस की तस इस तरह है-
यह लगभग असंभव की तस्वीर सामने आने जैसा है। दावा है कि वैज्ञानिकों ने 'पूरे ब्रह्मांड' की तस्वीर खींचने में कामयाबी हासिल कर ली है। यह नहीं, इस तस्वीर में ब्रह्मांड में 'जन्मी' सबसे पुरानी रोशनी भी कैद है। इस असाधारण तस्वीर में उस 'बिग बैंग' के अवशेष भी छुपे हैं, जिससे 13.7 अरब साल पहले हमारा अंतरिक्ष अस्तित्व में आया था। 

यह तस्वीर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के टेलीस्कोप 'प्लेंक' ने खींची है। इस टेलीस्कोप को 14 महीने पहले पृथ्वी से कई लाख मील दूर स्थित किया गया था। तब इस टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष के एक-एक हिस्से की तस्वीरें खींचना शुरू की थी। जो अब मुकम्मल रूप में सामने है। पांच फीट लंबे इस टेलीस्कोप को बनाने में 16 साल लगे थे। प्लेंक के द्वारा खींची गई तस्वीर सोमवार को जारी की गई। 

इस तस्वीर से कुछ बहुत ही रोचक तथ्य सामने आए हैं। जिनमें एक यह है कि अपने जन्म के वक्त ब्रह्मांड का रंग बैंगनी था। वर्तमान में इस बैंगनी, हल्के बैंगनी, लाल और गहरे गुलाबी रंग के अंतरिक्ष के मध्य में एक सफेद चमकदार रोशनी की पंट्टी है, जिसे हम आकाशगंगा कहते हैं। जो हमारे सौरमंडल का 'घर' है। 

यूरोपीय स्पेस एजेंसी, ईएसए के डायरेक्टर ऑफ साइंस एंड रोबोटिक एक्सप्लोरेशन, डेविड साउथवुड ने कहा, 'यही वह पल है, जिसके लिए हमने प्लेंक का निर्माण किया था।' उल्लेखनीय है कि यह टेलीस्कोप बनाने में 90 करोड़ डॉलर [42 अरब रुपये] का खर्च आया था। उन्होंने कहा, 'हम इसके माध्यम से कोई जवाब नहीं दे रहे, बल्कि हम वैज्ञानिकों के लिए असीम संभावनाओं वाली जादुई दुनिया को खोल रहे हैं। इससे वे पता लगा सकेंगे कि हमारा ब्रह्मांड कैसे जन्मा और उसका उत्तरोत्तर विकास कैसे हुआ। कैसे वह सक्रिय है और उसकी गतिविधियां किस प्रकार की हैं।' 

वैसे प्लेंक का काम इस तस्वीर के साथ खत्म नहीं हुआ है। यह सिर्फ शुरुआत है और यह टेलीस्कोप 2012 तक अपना मिशन खत्म होने से पूर्व पूरे ब्रह्मांड की कुल चार तस्वीरें तैयार करेगा। उसकी आने वाली तस्वीरों में और बेहतर परिणामों की उम्मीद की  जा सकती है (आभार :दैनिक जागरण )
खबर के पीछे की खबर जैसा कि आप अब तक समझ गए होंगें यह है कि यह तस्वीर माईक्रोवेव से तैयार  एक आकाशीय तस्वीर है जिसे बढा चढ़ाकर अलंकारिक रूप से ब्रह्माण्ड की तस्वीर बाताया जा रहा है ...वह ब्रह्माण्ड  जो अनादि ,अखंड ,अभेद है तस्वीर में समा सकता है भला  -आप ही बताईये न !