Wednesday 12 January 2011

सर्दी में सांप से सामना

सांप का नाम सुनते ही जहां लोगों के शरीर में एक सर्द सिहरन दौड़ जाती है वहीं अगर सर्दी में किसी सांप का सामना हो जाय तो सन्निपात का होना तय समझिये .ताज्जुब की बात यह है की मिर्जापुर शहर के महुवरिया मोहल्ले में पिछले आठ जनवरी की हाड कपाऊं ठण्ड में जबकि पारा पांच और तीन डिग्री सेल्शियस के बीच अठखेलियाँ कर रहा था सर्प महराज ने एक मेढक को पकड़ ही तो लिया -वे नाली के सहारे मकान में घुसने के फिराक में थे या शायद वहां पहले से ही मौजूद मेढक ने उन्हें ललचाया तो वे सर्दी में भी पेट पूजा को उद्यत हो गए .

धामन की  कुण्डली  में निरीह मेढक
      
 फिर तो वहां कोलाहल मचा ..मकान मालिकान लाठी बल्लम से लैस साँप पर भारी पड़े और कुछ ही पलों में शिकारी खुद शिकार हो गया ...आज भी किसी भी साँप चाहे वह कितना ही विषहीन और अहानिकर क्यूं न हो को देखते ही मार डालने की आदिम प्रवृत्ति बनी हुयी है ...हां मेढक राम बच गए और जाके राखे साईयाँ मार सके ना कोय की कहावत को एक बार फिर चरितार्थ कर गए .इस पूरे मामले में जो सबसे हैरत में डालने वाली बात है और जिसके कारण यह पोस्ट लिखनी पडी वह यह है की जाड़े में ये निम्न वर्गीय प्राणी शीत निष्क्रियता यानी हाईबर्नेशन में चले जाते हैं -यही कारण है मेढक छिपकली और सांप इन दिनों नहीं दीखते -इनमें वातावरण के तापक्रम के उतार चढाव के मुताबिक़ शरीर का तापक्रम बदलता रहता है -इसलिए शीत निष्क्रियता इनकी जीवन रक्षा का एक उपाय है -लेकिन इस समय भी सांप और मेढक की सक्रियता का  दिखना एक दुर्लभ दृष्टांत है जिसे यहाँ रिपोर्ट किया जा रहा है!

मेढक जिन भारतीय सापों के मीनू में सबसे ऊपर है वे हैं चेकर्ड कीलबैक पनिहा सांप -नैट्रिक्स पिस्कैटर जिसके शरीर पर शतरंज के खानों की तरह चित्र पैटर्न होते हैं और दूसरा है धामन सांप जिसे घोडापछाड़  के नाम से भी जानते हैं और जिसका वैज्ञानिक नाम है टायस  म्यूकोसिस है .ये दोनों ही नितांत निरापद और अहानिकर सांप है .पनिहा सांप जहां ज्यादा लंबा नहीं होता -यह औसतन केवल डेढ़ हाथ -साढे तीन से चार फीट लंबा होता है इसलिए इसका एक बोलचाल का नाम डेढ़हा है जबकि धामन ग्यारह फीट तक लम्बी हो सकती है .धामन को चूहे भी बहुत प्रिय हैं जबकि पनिहा सांप मेढक प्रेमी है ! 


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