Thursday 29 January 2009

पुरूष पर्यवेक्षण - छाती पर मूंग दलने की बारी !

भी मौजूद हैं छाती पर बाल !
वज्र की छाती ,छाती पर मूंग दलना ,छाती का गज भर फूल जाना कुछ ऐसे मुहावरे हैं जो प्रायः पुरुषों के ही संदर्भ में इस्तेमाल होते हैं .दरअसल शिकारी जीवन की लम्बी वैकासिक प्रक्रिया के दौरान पुरुषों की छाती /सीना चौडा होता गया जिससे फेफडों को अधिक आक्सीजन मिल सके और शिकार के पीछे भागते समय धौकनी की तरह सक्रिय सीने से आक्सीजन की लगातार समुचित मात्रा तो मिले ही लंबे समय तक स्टेमिना भी कायम रहे ! आज भी पुरूष अपनी उसी विरासत को ढोते हुए गर्व से सीना फुलाए फिरता है .जबकि आज वह शिकारी नही रह गया है ।
आज भी कई लोगों के सीने पर बालों की अच्छी खासी फसल यही इंगित करती है कि शिकारी जीवन के दौरान इन्ही बालों से ऊष्मा के तीव्र ह्रास से कलेजे को भाग दौड़ के समय भी ठंडक पहुँचती रहती थी ! मगर अब शिकारी जीवन तो रहा नहीं और न ही उस तरह का लगातार परिश्रम इसलिए छाती से बालों की फसल भी अब तेजी से खात्में पर आ रही है .मनुष्य की चौड़ी छाती उसके पौरुष और शौर्य का प्रतीक है .वह सुरक्षा, संरक्षा और आराम का आश्वासन भी देती है -ब्लॉग जगत की एक समादृत कवयित्री के शब्दों में '' मेरा तो मन करता है कि पुरूष सीने पर सर रख कर कुछ वैसे ही पुरसकूँ और निश्चिंत सी हो जाऊं जैसे एक गौरिया अपने घोसलें में दुबक कर सुरक्षित हो जाती है
अब छाती जब दिल को कवर करती है तो मामला रोमांटिक होना लाजिमी ही है -कई स्नेह सम्बन्धों का सेतु छाती बनती ही है -अब आप ही बताईये आप नन्हे से प्यारे शिशु को गोंद मे लेते हैं तो वह छाती के किस ओर रहता है -बाईं ओरही न ! पूरी दुनिया में बच्चों को बाईं ओर गोंद में लेने (कोरां उठाने ) का ही चलन है -दायीं ओर बस अपवाद तौर पर ही बच्चों को गोंद में उठाया जाता है .ऐसा नही है कि बच्चों को बायीं ओर गोंद में लेने के लिए किसी को सिखाया जाता हो -ऐसा अवचेतन में ही है ! बायीं ओर दिल हैं न ,इसलिए बच्चा बाई ओर के सीने से जा लगता है जहाँ उसे सकून मिलता है और हम भी ऐसा अवचेतन में ही करते हैं -मैंने बच्चों को दाहिनी ओर लेने की चैतन्य आदत डाली और देखा दाहिनी ओर भी बच्चे को लेना आसान है पर बच्चों को उन्हें दाहिनी ओर गोंद में लेने पर कैसा लगता है यह नही जाना जा सका है क्योंकि छोटे बच्चों से बड़ों जैसा सवाल जवाब सम्भव नही है ।

छाती /सीना पीटने का रिवाज भी कुछ संसकृतियों में शौर्य का प्रदर्शन या गम का इजहार है .छाती पर क्रास बनाना ,दाहिने हाथ का बायीं ओर की छाती पर टिकाना ये सभी शान्ति और सौहार्द के संकेत हैं .