Wednesday 20 August 2008

पुरूष पर्यवेक्षण -बालों का रंग रोशन और कुछ दीगर बातें !

बालों के मुख्य रंग हैं -काला ,सफ़ेद और लल्छौंह और इन्ही के विविध संयोगों से उत्पन्न कई और रंगों वाले बाल .जिसमें एक भूरा रंग भी बहुधा दिखता है .दक्षिण स्काटलैंड के सीमावर्ती निवासियों के सुर्ख लाल बालों का मर्म आज भी रहस्य भरा है .बालों का कुदरती स्वरुप मनुष्य की अलग अलग नस्लों में अलग ही होता है .नीग्रो के सिलवटी ,काकेशियन के लहरियादार ,मंगोलों के सीधे [स्ट्रेट ]बाल उनकी नस्ल पहचान से बन गए हैं .ज्यादातर भारतीयों के बाल काकेशियन मूल के ही हैं .बाल इस तरह पुरूष की जातीय पहचान के सिम्बल से बन गए हैं ।
कई आदिवासी समाजों में पुरुषों द्वारा लंबे बाल रखने का रिवाज है जबकि औरतें सर मुदा कर रखती हैं .यहाँ पुरूष के लंबे घने बाल उसके ऊंचे स्टेटस का प्रतीक हैं .जैसे सीजर शब्द की व्युत्पत्ति में kaiser और tsar शब्द के मूल अर्थ ही लंबे बाल हैं .इसी अर्थ में लंबे बाल दलीय नेता या मुखिया के पहचान चिन्ह बन गए .कहते हैं इस परम्परा का उदगम आदिम गिल्गामेश के कथानक से हुआ है .महानायक गिल्गामेश लंबे घने बालों वाले थे .जिन्होंने बाल्मीकि रामायण पढी है वे जानते होंगे कि अपने भगवान् राम भी लंबे घने बालों वाले थे जिसे सजाने सवारने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती थी .लक्ष्मण के बालों को भी बड़ा दिखाया गया है -इन दोनों भाईयों के लिए वनवास में अपने बालों को सेट करना एक श्रमसाध्य काम बन गया था .अब जब हमारे महापुरुष ही घने लंबे बालों वाले ठहरे तो यह दिव्यता और उच्चता -राज घराने का एक स्टेटस सिम्बल बन गया .आज भी अपने क्षेत्रों के दिग्गज लंबे नारी सरीखे वाले बाल लहराते दिख जाते हैं -इसका प्रचलन भारत में बहुत पुराना है -दिव्यता के द्योतक इन लंबे बालों को साधू सन्यासियों -भगवान के समकालीन कथित अवतारों पर फबते हुए देखा जाता है -ये नारी से बाल तो हैं पर कतई स्त्रैण नही हैं .क्योंकि ऐसे दिव्यता के द्योतक बालों को सरेआम मुडाना ,सफाचट करना किसी की भी किरकिरी के लिए काफी है .यह किसी को अपमानित कराने का सबब हो सकता है -जैसे बालों को मुडवा कर गधे पर बैठाना किसी के लिए घोर अपमान हो सकता है -उसके सामाजिक हैसियत को गिराना हो सकता है .सर मुडाने का मतलब ही हुआ अतो विनम्रता और गिरा हुआ स्टेटस .ईश्वर के लिए सर मुडाने का मतलब हुआ उनके सामने मर मिटाना -कई धार्मिक कर्मकांडों में किसी दिव्यशक्ति के सामने बाल मुड्वाने का यही मरम है -कई लोगों ने तो इसे विनम्रता के ढोंग के रूप में भी लिया -मूंड मुडाई भये संन्यासी .
इति केश प्रकरणम्.......