Saturday 15 November 2014

अरबों किमी दूर धूमकेतु पर मानव की विजय पताका -मानव इतिहास का एक महान पल!



तमाम अनिश्चितताओं को लेकर जब यूरोपीय अंतरिक्ष मिशन का रोसेटा( Rosetta) अभियान दस वर्ष पहले दिक्काल की अंनंत गहराईयों में उतरा था तो किसे पता था कि यह मानव इतिहास की इबारत में एक महान पल जोड़ेगा। रोसेटा एक परिक्रमा स्पेसक्राफ्ट और एक लैंडर मॉड्यूल Philae दोनों के साथ धूमकेतु 67P / Churyumov-Gerasimenko (67P) का एक विस्तृत अध्ययन करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा बनाया गया एक रोबोट अंतरिक्ष यान है।रोसेटा धूमकेतु की कक्षा के परिभ्रमण लिए पहला अंतरिक्ष यान का उपक्रम है जो एक एरियन -5 रॉकेट पर 2 मार्च 2004 को शुरू किया गया था।

यह एक धूमकेतु के सबसे विस्तृत अध्ययन के लिए डिज़ाइन किया गया है जो जर्मनी में यूरोपीय अंतरिक्ष संचालन केन्द्र (ESOC) से नियंत्रित किया जाता है। यह अंतरिक्ष यान धूमकेतु और आरंभिक सौर प्रणाली की बेहतर समझ विकसित करेगा ऐसी आशा की जाती है।अंतरिक्ष यान पहले 2007 में मंगल ग्रह के गुरुत्व से झटका खाकर ( स्विंग से - flyby) अंतरिक्ष की अनंत गहराई में छलांग लगा बैठा था और अपने रास्ते के दो क्षुद्र ग्रहों के गुरुत्व से निकलते ( flyby ) हुए आगे बढ़ा.. पुनः 2867 सितंबर में क्षुद्रग्रह स्टीनस ,पुनः 2008 और जुलाई 2010 में ल्यूटेटिया से गुजरा। 20 जनवरी 2014 को 31 महीने की हाइबरनेशन मोड से बाहर ले जाया गया था। इस अभियान में 2,000 लोगों ने में मिशन में सहायता प्रदान की है। 
 
 Philae लैंडर का अवतरण 

रोसेट्टा के Philae लैंडर यानि अवतरण मॉड्यूल सफलतापूर्वक १२ नवंबर 2014 को धूमकेतु 67P, के नाभिक पर उत्तर गया हालांकि यह पूर्व निश्चित स्थल से दूर उतरा और उतरने में दो बार उछाल (बाउंस) लिया और एक ऊंची पहाड़ी के पीछे जाकर स्थिर हुआ। जिससे इसका सोलर पैनल पहाड़ी की चोटी की छाया में आ गया और बैटरी रिचार्ज में दिक्कत आ गयी है। मगर तबतक इसने जरूरी आंकड़े धरती तक भेज दिए हैं जिनका विश्लेषण हो रहा है। खगोलविद एलिजाबेथ पियर्सन के अनुसार Philae लैंडर का भविष्य अनिश्चित है, मगर परिक्रमा कर रहा मिशन यान सक्रिय रहेगा।

चार अरब किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक इस मानव निर्मित अंतरिक्ष का जा पहुंचना और अपने मिशन में कामयाब होना मानवता की एक बड़ी सफलता है। अगले वर्ष जिस धूमकेतु पर अवतरण हुआ है वह हमारे सौर मंडल में नजदीक आ जाएगा। विज्ञान कथाओं में धूमकेतुओं को अंतरिक्ष के उड़न खटोलों की संज्ञा दी गयी है जो बिना खर्चे ही सौर मंडल के आख़िरी छोर तक आगामी समानव अंतरिक्ष भ्रमण का मार्ग सुझायेगें।

4 comments:

Manoj Kumar said...

आदरणीय अरविन्द जी को नमस्कार !
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता ! काफी अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर अब नियमित रूप से आपके ब्लॉग को पढ़ पाऊगा !

Darshan Lal Baweja said...

महत्वपूर्ण सफलता

Raj Groups said...

informative

Unknown said...

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