Saturday 20 March 2010

मदमस्त मिलन इक ऐसा हो जाये....चाह न मिलने की कोई रह जाए

 मदमस्त मिलन इक ऐसा हो जाये , शुक्राणु कोष आजीवन मिल जाए  ,  चाह न मिलने की कोई रह जाए .....न न यह कोई कविता नहीं बल्कि एक हकीकत है कितनी ही चीटियों, मधुमक्खियों ,ततैयों और दीमकों का सेक्स जीवन ऐसा ही होता है .इन कीट परिवारों की मादाएं बस कुछ देर या दिनों के ही प्रणय उड़ान में अपने नर संगियों से जीवन भर के लिए शुक्राणु -गिफ्ट प्राप्त कर धारण  कर लेती हैं जिससे वे अपने अण्डों का निषेचन करती रहती है -संगी कीट की भूमिका ख़त्म!.नर संगियों में इस प्रणय उड़ान में मादा कीट का सानिध्य प्राप्त करने की  होड़ ही नहीं भयंकर  मारकाट भी मचती है और प्रायः  एक विजेता नर कीट मादा से संसर्ग कर उसे जीवन भर के शुक्राणु उपहार से धन्य/पूर्णकाम  कर जाता है ....

कभी कभी जब ऐसा हो जाता है की मादा अपने एकल प्रणय उड़ान में कई नर संगियों से संसर्ग कर लेती है तो उन सभी के शुक्राणुओं में सबसे पहले मादा के अंडाणु तक कौन पहुंचे इसकी होड़ शुरू हो जती है .कोपेनहेगेंन विश्वविद्यालय की सुसेन्न देंन  बोएर ने अपने अनुसन्धान में पाया है कि विभिन्न नर कीटों के शुक्राणु परस्पर ऐसे स्राव छोड़ते हैं जिससे प्रतिस्पर्धी शुक्राणु निष्क्रिय तो हो जाय मगर वह खुद तो सुरक्षित और अति सक्रिय बने रहें  -जब सभी ऐसी ही युक्ति अपनाते हैं तो एक अजीब सा कोलाहल मच उठता है और इसी जद्दोजहद में कोई एक शुक्राणु तैयार अंडे को निषेचित कर देता है .और यह क्रम चलता ही रहता है जब तक कोई भी नाद निषेचन को शेष रहता है . यह जीवंत जंग  आगे भी चलती रहती  है मादा-"रानी " के नए अण्डों की खेप के आते ही यही माजरा फिर शुरू हो जाता है .लीफ कटर चीटी प्रजाति में  शुक्राणुओं के बीच जब मार काट अपने चरम पर पहुँच जाती है तो वह एक प्रेमिल फुहार रूपी स्राव से सभी शुक्राणुओं को शांत कर देती  है .और उन्हें कुछ देर  राहत देकर फिर से एक नए युद्ध को तैयार  करती है .

                                                      एक "उड़ान प्रणय" मधु मक्खी में

कीट पतंगों के सामाजिक जीवन में वैसे तो एक निष्ठता एक नियम सा ही है -मतलब केवल एक संगी से संसर्ग मगर कुछ मादाएं बहु संगी सम्बन्ध बना लेती हैं और वहां शुक्राणु युद्ध की नौबत आ जाती है .मगर ऐसे युद्ध को मादा ज्यादा प्रोत्साहित नहीं करती क्योंकि यह उसकी जीवन भर की जमा पूजी होती है और इसकी अधिक क्षति उसके अनवरत प्रजननं को बाधित कर सकता है -इसलिए अधिक उग्र और आक्रामक शुक्राणुओं पर वह अपने  प्रेमिल स्राव फुहार से नियंत्रण रखती है .ताकि शुक्राणुओं का क्षय कम से कम हो और उसकी अनवरत जनन क्रिया अबाध "दुधौ नहाओ पूतौ  फलो " की तर्ज पर चलती रहे और भावी कीट साम्राज्य रक्षित हो सके .

14 comments:

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

आप ने यह तो लिखा ही नहीं कि कुछ प्रजातियों में बेचारा अंतिम नर भी संभोग के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

ये नर होते ही हैं बहुत लोलुप - जान तक दे देते हैं।
इनकी फितरत ही ऐसी है।

सानिध्य - सान्निध्य
@ नाद निषेचन को शेष - नाद से यहाँ क्या तात्पर्य है?

मुनीश ( munish ) said...

Love, Sex ur Dhokha ??

विनोद कुमार पांडेय said...

एक नई बात का पता चला....धन्यवाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत काम की जानकारी है। जीवों की सभी प्रजातियों में नर की भूमिका पर श्रंखला हो तो बातें कुछ समझ आने लगें।

Unknown said...

न केवल रोचक
बल्कि अद्भुत

इस उम्दा जानकारी के लिए आभार ..........

सतीश पंचम said...

रोचक जानकारी है।

लव, सेक्स और धोखा वाला फंडा यूनिवर्सल लग रहा है :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अद्भुत जानकारी... आभार

mukti said...

ये जानकारी अच्छी है, पर मेरे लिये नई नहीं है . बचपन से विज्ञान प्रगति और आविष्कार जैसी हिन्दी विज्ञान पत्रिकाएँ पढ़ती आ रही हूँ. पता है कि जीव विज्ञान के विद्वान हैं, पर आपसे कुछ और अच्छे की उम्मीद है. please don't take it otherwise.

Arvind Mishra said...

@मुक्ति ,
सभी आप सरीखे वैल रेड नहीं हैं -यहाँ विद्वता प्रदर्शन का हेतु नहीं है अगर कुछ विशेषता है तो यही की आम आदमी तक विज्ञान को कैसे ले जाया जाय -कैसे उसे ऐसा आकर्षक बना कर प्रस्तुत किया जाय कि वह विज्ञान की घोषित दुरुहता के दायरे में से बाहर निकल सके और यह काम कुछ लोग करते हैं जिन्हें विज्ञान संचारक का नामकरण मिला हुआ है -मैं भी उसे में से एक अदना सा विज्ञान संचारक हूँ -हाँ विषय के चुनाव को लेकर आपत्तियां हो सकती हैं -मगर हम क्या करें -प्रश्नगत पोस्ट एक फर्मायशी पोस्ट थी -और फरमाईश पर आपका वश नही चलता -वैसे पोस्ट का मूल स्रोत नीचे दिया है -और वहां भी अभी कमेंट्स आ रहे हैं और उनका तेवर और स्वरुप दूसरा है .
पाठक की बात का क्या बुरा मानना वही तो हमारे रोजी रोटी हैं माई बाप!
बस आप स्नेह बनाए रखियेगा !

यहाँ देखें

Udan Tashtari said...

जानकारी के लिए आभार.

पूनम श्रीवास्तव said...

ek achchi jankaari ke liye hardik abhar

Himanshu Pandey said...

नई भले न हों, पर रोचक हैं यह बातें ! उपयोगी भी ।
जानकारी का शुक्रिया ! गिरिजेश जी का प्रश्न अभी अनुत्तरित है ।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

are gazab.....kyaa baat hai....vallaah......!!

Alpana Verma said...

ज्ञानवर्धक लेख,
बहुत ही संयत भाषा में लिखा गया.