Friday 15 August 2008

ब्लागरों के लिए एक खुशखबरी !

ब्लॉगर एट कीबोअर्ड
साईन्टिफिक अमेरिकन के अभी माह जून ०८ के अंक में ब्लागिंग के कई चिकित्सकीय पहलुओं का खुलासा हुआ है .ब्लागिंग तनाव के साथ ही ब्लॉगर के लिए कई दूसरे स्वास्थ्य लाभों का दरवाजा खोल देता है .जेस्सिका वैप्नेर अपने वैज्ञानिक लेख में बताती हैं कि चिट्ठाकारिता स्मरण शक्ति में इजाफे के साथ ही नीद पूरी होने की प्रक्रिया में भी मददगार है .यह ब्लॉगर की रोगरोधक क्षमता को भी बढ़ाने वाला पाया गया है .यहाँ तक कि इसे ऐड्स के रोगियों में वाईरल लोड को कम करने वाला पाया गया है .कई तंत्रिका विज्ञानियों का मानना है कि ब्लागिंग मस्तिष्क के कतिपय फायदे वाले रसायन -हारमोनों के स्त्रवन को उद्दीपित करता है .जिससे एक आनंद दायक मानसिक अनुभूति तो मिलती ही है -स्त्रवित रसायन शरीर की जैवरासायनिक क्रियाओं पर भी माकूल प्रभाव डालते हैं .
हारवर्ड विश्वविद्यालय के न्युरोविग्यानी अलायिस फल्हेर्टी ने हायीपर्ग्रैफिया -लिखने की कशिश वाले लोगों के मामलों का अध्ययन कर रही हैं .कुछ लिख कर अपने को अभिव्यक्त करने की अदम्य अकुलाहट जैसा ही एक नशा और होता है बात करने का .कुछ लोग बहुत बातूनी होते हैं .ब्लागिंग और बातूनीपन में एक साम्य पाया गया है कि ये दोनों गतिविधियाँ मस्तिस्क के लिम्बिक प्रणाली को उद्दीपित करती हैं .मस्तिष्क के मध्य भाग में पाया जाने वाली लिम्बिक प्रणाली कई अदम्य लालसाओं का केन्द्र बिन्दु होती है .मसलन भोजन करने ,कामोद्दीपन या किसी पहेली को हल करने में यही लिम्बिक प्रणाली निर्णायक भूमिका निभाती है. अब चूंकि ब्लाग्गिंग की गतिविधि से यह क्षेत्र उद्दीपित होता पाया गया है जिसमें डोपामाईन नामक रसायन स्रावित होता है .यह रसायन आनन्दानुभूति के लिए जाना जाता है .अमेरिका में कई हास्पिटलों में मरीजों द्वारा संचालित कई कम्युनटी ब्लागों का प्रचालन शुरू हुआ है .रोगियों में इसके पार्टी उत्साह देखा जा रहा है .कुछ लिंक्स आप भी देख सकते हैं -यहाँ ,यहाँ और यहाँ .

6 comments:

Udan Tashtari said...

नींद पूरी?? अरे, यहाँ तो जितनी आती थी वो भी उड़ गई और याददाश्त का ऐसा ही कि ब्लाग के सिवाय कुछ याद ही नहीं रहता. :)

स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

दिनेशराय द्विवेदी said...

पता नहीं यह खुशखबरी है या नहीं। पर खबर अच्छी है। हमारा तो उत्साह बढ़ा रही है।

आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।

ताऊ रामपुरिया said...

वंदे मातरम्

साहब जी आपके मुंह में घी शक्कर ! अब ब्लागिंग
को लेकर घरवाली की बडबड बंद करवाने का आपने
वैज्ञानिक अस्त्र हमको थमा दिया है ! तबियत बाग़
बाग़ हो रही है की सही रास्ते जा रहे हैं !

Gyan Dutt Pandey said...

सही खबर बताई जी!

रंजू भाटिया said...

वाह बहुत उपयोगी सही जानकरी दी है आपने ...सही है नशा तो यह ही ब्लागिंग :)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मुझे तो ऐसा लगता है कि इस खबर को पढकर ब्लॉगर खुश हो न हों, पर साइबर कैफे वाले ज्यादा खुश होंगे। आखिर ब्लॉग अपडेट करने के लिए आप जाओगे कहां?