tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post8724908324820490702..comments2023-11-18T03:53:14.179-08:00Comments on साईब्लाग [sciblog]: नारियां क्यों बनाती है यौन सम्बन्ध ? एक ताजातरीन जानकारी !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-90600127166558078412012-08-27T00:37:36.708-07:002012-08-27T00:37:36.708-07:00यह अनेक बार सुस्थापित किया जा चुका है कि छोटे-छोटे...यह अनेक बार सुस्थापित किया जा चुका है कि छोटे-छोटे प्राणियों से आधुनिक मानव तक काम सम्बन्ध बनाने में स्त्री यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वह किस पात्र से यौन संबंधों के परिणामस्वरूप स्वस्थ और सबल संतान को जन्म दे पायेगी इसी प्रकार पुरुष भी संभावित काम सखी में यह देख लेना चाहता है कि क्या वह गर्भ धारण और संतानोत्पत्ति हेतु सुपात्र और सक्षम है ?राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-26057112327852860852010-12-21T01:02:17.197-08:002010-12-21T01:02:17.197-08:00बहुत रोचक एवं ट्राफिक खेंचू पोस्ट है |बहुत रोचक एवं ट्राफिक खेंचू पोस्ट है |naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-64345279237701803972010-08-30T22:59:56.756-07:002010-08-30T22:59:56.756-07:00कोई नई खोज नहीं है, शरद कोकास ने सही कहा इस पर विच...कोई नई खोज नहीं है, शरद कोकास ने सही कहा इस पर विचार करें। यह मानव-विविधता विग्यान की बात है कोई भी वैग्यानिक-सीमित अन्वेषण खोज कोई नियम नहीं बना सकती।<br />----हरि अनंत हरि कथा अनंता की भांति मानव व्यवहार अनंत है और सच कहा--नारी को ब्रहमा भी न जान पाया, मानव की क्या औकात । shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-80404291702598491372009-11-10T07:24:53.175-08:002009-11-10T07:24:53.175-08:00भाई साहिब इस पूरे आलेख के शीर्षक का एक ही सीधा साद...भाई साहिब इस पूरे आलेख के शीर्षक का एक ही सीधा सादा उत्तर है पुरुषों के उकसाने परarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-17799457599891451722009-10-25T11:15:50.746-07:002009-10-25T11:15:50.746-07:00मिश्र सर, मुझे दिमाग को चकरा देने वाली क्वांटम भौत...मिश्र सर, मुझे दिमाग को चकरा देने वाली क्वांटम भौतिकी के बारे में पढना बहुत अच्छा लगता है. हिंदी में इस विषय पर अधिक पढने को नहीं मिलता. क्यों न प्राचीन भारतीय ऋषियों के तत्व चिंतन और अरस्तु आदि के पदार्थ सम्बंधित विचारों से लेकर नाभिकीय कणों की खोज और वर्तमान सुपरस्ट्रिंग थ्योरी को समेटनेवाली एक श्रृंखला को इस ब्लौग में स्थान दिया जाय.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-47084451992697761862009-10-25T06:28:44.000-07:002009-10-25T06:28:44.000-07:00मगर नारी यौनोंन्मुखता के पीछे भावात्मक लगाव की भ...मगर नारी यौनोंन्मुखता के पीछे भावात्मक लगाव की भूमिका रेखांकित की गयी है ! नारी, पुरुष से कहीं अधिक ऐसे मामलों में यौन सम्बन्ध की आकांक्षी हो उठती है जहाँ मानसिक /भावात्मक जुडाव महसूस करती है ! <br /><br />Naree ka maanisk judaav hamesha bahut maayne rakhta hai <br /><br /><br /><br />Samay ji <br /><br />इस सारे जंजाल में स्त्री व्यक्तित्व की आधिकारिक उपस्थिति कहीं भी अभिव्यक्त नहीं होती। इसीलिए वह वह बराबरी के, प्रेम के, भावनात्मक संबंधों के अवसरों के लिए हमेशा प्रतीक्षारत रहती है।<br /><br />aapne bhi bahut sahi baat kahi haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-34204475571056743702009-10-22T17:47:17.811-07:002009-10-22T17:47:17.811-07:00वाह दादा... बढ़िया आलेख... आपकी सिफारिश पर आज रात ...वाह दादा... बढ़िया आलेख... आपकी सिफारिश पर आज रात को ध्यान देंगें..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-45528574637611537322009-10-22T01:06:57.351-07:002009-10-22T01:06:57.351-07:00kaafi achhi pahel ki hai aap ne ....
roochak jaank...kaafi achhi pahel ki hai aap ne ....<br />roochak jaankaari............Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-67078015658392590682009-10-21T05:20:20.411-07:002009-10-21T05:20:20.411-07:00रोचक विषय..रोचक विषय..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-31897958719866377912009-10-21T02:22:45.812-07:002009-10-21T02:22:45.812-07:00@ समय
विषय और उसके निहितार्थों की आपकी समझ और भाष...@ समय <br />विषय और उसके निहितार्थों की आपकी समझ और भाष्य प्रभावित करते हैं ! <br />बहुत आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-21097949598115428812009-10-20T23:44:49.610-07:002009-10-20T23:44:49.610-07:00आपने एक रोचक विषय उठाया है, कम से कम पुरूषों के लि...आपने एक रोचक विषय उठाया है, कम से कम पुरूषों के लिए तो है ही।<br /><br />पुरूषप्रधान समाज की मानसिकता इसे ऐसे ही रूप में लेने को अभिशप्त है, जैसा कि विवेक और जाकिर भाई की टिप्पणियों से जाहिर होता है। भले ही यह आपका मंतव्य रहा हो या नहीं।<br /><br />इसलिए समझदारी का तकाज़ा कहता है कि प्रस्तुति और विश्लेषण का तरीका ऐसा होना चाहिए कि यह सिर्फ़ प्रचलित मानसिकताओं की सनसनीखेज़ तुष्टि का जरिया भर बन कर ना रह जाएं बल्कि एक सहिष्णु यथार्थ समझ की सही दिशा की राह प्रशस्त करता हो।<br /><br />शरद कोकास एक गंभीर इशारा जरूर कर रहे हैं पर वहां भी यौन संबंधों का हथियारगत इस्तेमाल अवश्य ही मिलेगा।<br /><br />पुरूष प्रधान समाज में स्त्री के अधिकार सीमित हैं। स्त्री पुरूष के लिए संपत्ति है और इसके अनुरूप ही भोग्या सामग्री। उसके लिए यौन संबंध यौन तुष्टि के साथ-साथ अपनी सत्ता के प्रस्फुटिकरण और प्रदर्शन का साधन भी हैं। इसीलिए वह यौन संबंधों के लिए अवसरवादी है और अपनी सत्ता और स्त्री की निर्भरता के चलते अवसरों की संभावनाएं भी खूब रखता है।<br /><br />इस सारे जंजाल में स्त्री व्यक्तित्व की आधिकारिक उपस्थिति कहीं भी अभिव्यक्त नहीं होती। इसीलिए वह वह बराबरी के, प्रेम के, भावनात्मक संबंधों के अवसरों के लिए हमेशा प्रतीक्षारत रहती है।<br /><br />स्त्री के व्यक्तित्व का यही खालीपन, लंपट पुरूषों के लिए और अधिक अवसर उपलब्ध कराता है। और फिर धोखा, छल, मोहभंग जैसी अवस्थाओं की परिणति अस्तित्व में आती हैं।<br /><br />स्त्री केवल यौन तुष्टि के उपकरण के रूप में अपनी पुरजोर उपस्थिति दर्ज़ कर पाती है। पुरूष जब कभी भावुकता में भी होता है तो इसकी परिणति यौन संबंध तक खींच ले ही जाता है।<br /><br />कुलमिलाकर लाबलुब्बेआब यह कि सामान्यतया स्त्री के लिए पुरूष की यह यौन जरूरत और उसकी पूर्ति के लिए स्त्री की भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता उसके लिए एक हथियार की तरह उभरने की संभावना पैदा करती है जिसका कि इस्तेमाल तात्कालिक रूप से अपना मनोइच्छित प्राप्त करने में किया जा सकता है।<br /><br />इसी की अभिव्यक्ति, जैसा कि इस आलेख में जिक्र है, भौतिक वस्तुओ, उसके क्रियाकलापों में सहायता और भावनात्मक संतुष्टि को यौन संबंधों के जरिए प्राप्त करने के रूप में होती है।<br /><br />जहां बराबरी के से संबंधों की उपस्थिति होती है, वहां फिर भी इनके पृष्ठभूमि में होने की संभावनाएं हो सकती हैं।<br /><br />मनुष्य की यौन संबंधों की सहज और प्राकृतिक जरूरत इसी व्यवस्थागत रूप के चलते विकृतियों के लिए अभिशप्त है।<br />०००००<br /><br />आप इनको विमर्श के केन्द्र में लाने का जो महती प्रयास कर रहे हैं, वह सराहनीय है।<br /><br />इस विमर्श को एक सचेत और सही दिशा देने की जरूरत तो आज के सामाजिक परिदृश्य में है ही।<br /><br />इस हेतु आपका शुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-8749559509100884012009-10-20T18:13:43.511-07:002009-10-20T18:13:43.511-07:00टाइम जैसी पत्रिकाओं में इस तरह के लेख पहले भी आते ...टाइम जैसी पत्रिकाओं में इस तरह के लेख पहले भी आते रहे हैं । यह सामान्यत: उच्च वर्ग के स्त्री-पुरुषो पर किये गये सर्वेक्षण पर आधारित होते है जब कि यह विषय मनुष्य जाति के हर वर्ग से सम्बन्धित है। हो सकता है झोपड़पट्टी मे या आदिवासी क्षेत्रों में जाकर इस विषय पर काम किया जाये तो कुछ और परिणाम मिले । बहर हाल इस विषय को पाठकों तक पहुंचाने के लिये धन्यवाद ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-23954937574582108432009-10-20T10:54:39.752-07:002009-10-20T10:54:39.752-07:00KYA AISA AB HAMAARE DESH MEN BHI HOTA HAI?KYA AISA AB HAMAARE DESH MEN BHI HOTA HAI?राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-45615581063822768592009-10-20T05:57:04.283-07:002009-10-20T05:57:04.283-07:00तमगा लेकर ही मानेंगे !
गोबर पट्टी में रहते हुए ऐसी...तमगा लेकर ही मानेंगे !<br />गोबर पट्टी में रहते हुए ऐसी बातें !!<br />लोग लुगाई नाराज हो जाएँगे<br />राम राम।<br />_________________<br />स्त्री पुरुष सम्बन्धों से रहस्यों के आवरण हटने ही चाहिए - बहुत कचरा भरा है समाज में।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-41210358288322816062009-10-20T04:48:32.143-07:002009-10-20T04:48:32.143-07:00कुछ अदभुत बातें खुलकर सामने आई हैं। पर आश्चर्य का ...कुछ अदभुत बातें खुलकर सामने आई हैं। पर आश्चर्य का विषय यह है कि इस पर किसी नारीवादी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-44767312056826809042009-10-20T02:48:00.362-07:002009-10-20T02:48:00.362-07:00बहुत रोचक .
धन्यवादबहुत रोचक .<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-64409517237422368012009-10-19T22:21:55.039-07:002009-10-19T22:21:55.039-07:00रोचक.रोचक.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-7482232817118771112009-10-19T22:18:58.050-07:002009-10-19T22:18:58.050-07:00time magazine hum padh pate aisa nahin lagta paran...time magazine hum padh pate aisa nahin lagta parantu aapke madhyam se nai jankariyan mili, dhanywad. aapne sar sankshep mein kafi jankari dedi.श्रीकांत पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/02488429636132949216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-79711195731965512142009-10-19T21:22:57.393-07:002009-10-19T21:22:57.393-07:00नेति..नेति..
चरैवेति..चरैवेति...नेति..नेति..<br />चरैवेति..चरैवेति...Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-77427039062733204482009-10-19T20:47:18.657-07:002009-10-19T20:47:18.657-07:00आप भी कहां कहां से ढुंढ लाते हैं ऐसी खोजपरक खबरें?...आप भी कहां कहां से ढुंढ लाते हैं ऐसी खोजपरक खबरें?<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-50981061216648548372009-10-19T19:45:36.569-07:002009-10-19T19:45:36.569-07:00रोचक है, एक अच्छा आलेख पढ़वाया आपने।
237 कारण कम ...रोचक है, एक अच्छा आलेख पढ़वाया आपने।<br /><br />237 कारण कम ही लगते हैं अगर ज्यादा नारियों पर सर्वे किया जाता तो हो सकता है आगे एक शून्य और बड़ जाता।<br /><br />एक पुरानी कहावत है।<br />"स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य कोई नहीं जान सकता"विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-81527862159426292602009-10-19T19:29:45.083-07:002009-10-19T19:29:45.083-07:00रोचक!
आपकी सिफारिश पर ध्यान दिया जा रहा है :-)
...रोचक!<br /><br />आपकी सिफारिश पर ध्यान दिया जा रहा है :-)<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.com