tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post6504590491209288178..comments2023-11-18T03:53:14.179-08:00Comments on साईब्लाग [sciblog]: गंगा में विदेशी मछलियों का डेराArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-41211461436702327682011-01-17T11:48:51.748-08:002011-01-17T11:48:51.748-08:00यहाँ भी विदेशी घुसपैठ ! आशा है आपके सुझावों पर ध्य...यहाँ भी विदेशी घुसपैठ ! आशा है आपके सुझावों पर ध्यान दिया जायेगा.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-73094232879715016752011-01-16T22:03:31.469-08:002011-01-16T22:03:31.469-08:00मछलियों के पासपोर्ट बनते हों संभवतः।मछलियों के पासपोर्ट बनते हों संभवतः।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-3118652086235480382011-01-16T19:35:08.239-08:002011-01-16T19:35:08.239-08:00यही तो बात है. हम इतनी गंभीर बातों को हलके में ले ...यही तो बात है. हम इतनी गंभीर बातों को हलके में ले लेते हैं. जबकि दीर्घकाल में ये प्रवृत्ति घातक हो सकती है. मछुआरों का क्या? उन बेचारों को तो मोटी मछलियाँ मिल जा रही हैं. पर जैव विविधता की दृष्टि से ये बेहद खतरनाक बात है.<br /> ये एक जैव संकट है. ही आपका तो विभाग ही यही है, आप ही कुछ कीजिये.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-24664568687705201632011-01-16T19:20:53.955-08:002011-01-16T19:20:53.955-08:00भारत में जो आता है यहीं का हो जाता है। चाहे इंसान ...भारत में जो आता है यहीं का हो जाता है। चाहे इंसान हो या मछलियाँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-75131394720299578412011-01-16T16:20:24.544-08:002011-01-16T16:20:24.544-08:00आपने एक और संकट की घोषणा कर दी। समाधान नहीं है तो ...आपने एक और संकट की घोषणा कर दी। समाधान नहीं है तो हाथ पर हाथ ही धर लेते हैं। <br /><br />मछली के शिकारी खुश नहीं हैं? बड़ी और मोटी मछलियों से?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-35563701113292472752011-01-16T09:53:31.334-08:002011-01-16T09:53:31.334-08:00अब धीरे धीरे हम भी ऎसे ही लुप्त हो जायेगे, जेसे अम...अब धीरे धीरे हम भी ऎसे ही लुप्त हो जायेगे, जेसे अमेरिका मे वहां के लोग, अस्ट्रेलिया कनाडा ओर न्युजी लेंड मे हुये हे,जेसे हमारी मच्छ्लिया ओर हमारे पेड् पोधे हो रहे हे, हमारी भाषा हो रही हेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-66012431225855718402011-01-16T09:03:46.296-08:002011-01-16T09:03:46.296-08:00गाजर घास और जलकुम्भी भी बाहर से ही आई थी.गाजर घास और जलकुम्भी भी बाहर से ही आई थी.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-77399585702129354302011-01-16T07:45:11.507-08:002011-01-16T07:45:11.507-08:00मुझे लगता है कि आप जिसे संकट बतौर पहचान रहे हैं, ढ...मुझे लगता है कि आप जिसे संकट बतौर पहचान रहे हैं, ढेरों ऐसे होंगे जो इसका स्वागत करना चाहेंगे.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com