tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post5846177892073411354..comments2023-11-18T03:53:14.179-08:00Comments on साईब्लाग [sciblog]: यौनिक रिश्तों की पड़ताल के कुछ नए परिणाम !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-49469509265127922002013-02-07T03:51:34.268-08:002013-02-07T03:51:34.268-08:00Thank you for the good writeup. It in fact was a a...Thank you for the good writeup. It in fact was a amusement account <br />it. Look advanced to far added agreeable from you!<br /><br />However, how could we communicate?<br /><i>Also see my web page</i> :: <b><a href="http://www.knowmemes.com/category/memes/grumpy-cat-memes/" rel="nofollow">grumpy cat</a></b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-42357349793658560812010-08-13T00:10:47.755-07:002010-08-13T00:10:47.755-07:00jai ho.....
badiya post hai bhai ji.....
jaari r...jai ho.....<br /><br />badiya post hai bhai ji.....<br /><br />jaari rakhe....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-68660608602495531992010-08-11T23:15:57.486-07:002010-08-11T23:15:57.486-07:00नाईस।नाईस।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-37529209349943689772010-08-08T08:12:30.522-07:002010-08-08T08:12:30.522-07:00भारत के स्त्री और पुरूषों की क्या प्रवत्ति रही है ...भारत के स्त्री और पुरूषों की क्या प्रवत्ति रही है ।कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-16024922499893731942010-07-31T23:34:45.824-07:002010-07-31T23:34:45.824-07:00इसमे शोध पत्र पढने व उस को बढिया या घटिया कहने की ...इसमे शोध पत्र पढने व उस को बढिया या घटिया कहने की बात नही है इसे तो स्वयं आजमाने की बात है यह कोई कैन्सर या एड्स का शोध पत्र नही है जिसे सिद्ध करने मे कोई खतरा है यह तो 40 + की वय के लिये जीवन सन्देश जैसी बात है <br />डाक्टर साहिब लगे रहिये ऐसे लिन्क देने मे उसे जन कल्याणार्थ प्रकाशित करने मे सच के सूरज को अन्धेरा कब तक तिमिराछ्न्न कर सकेगा <br />राठौर यही शोध पत्र पढ रखा है क्या जो मूछो पर ताव दे कर जेल से निकलता देखा गया थाarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-55977010899211607302010-07-29T19:42:00.095-07:002010-07-29T19:42:00.095-07:00बकरे खस्सी करने वाले टोबाटेक सिंह की टिप्पणी से सह...बकरे खस्सी करने वाले टोबाटेक सिंह की टिप्पणी से सहमत हूँ। nice गोली देने वाला बकरे को भी खस्सी करता है :) <br /><br />यह रिसर्च साहित्य जगत में पहले से चली आ रही एक मान्यता की पुष्टि भर है। यह बात भी सही है कि विकसित समाज में ऐसे बहुत से फालतू टाइप के रिसर्च भी चल रहे हैं - च्युंगम चबाने से सेक्स पॉवर बढ़ता है कि नहीं; सफल काम जीवन के लिए बिस्तर में नंगे सोना चाहिए या हल्के बारीक कपड़े पहन कर? प्रकाश का लक्स क्या होना चाहिए ...वगैरह वगैरह। <br />एक तथ्य जो हम मिस कर जाते हैं, यह है कि उनके यहाँ शोध के लिए पर्याप्त साधन हैं, धन हैं। अपने यहाँ तो पत्थर के सनम सरीखे हजारो करोड़ बुत बनाने में खर्च देंगे लेकिन आइ आइ टी, कानपुर जैसे संस्थान में भी टेस्टिंग के पर्याप्त साजो सामान नही हैं, इस पर ध्यान ही नहीं जाएगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-16124778003494322452010-07-28T09:14:25.324-07:002010-07-28T09:14:25.324-07:00nice post .nice post .बकरे खस्सी करने वाले टोबाटेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/10981597872893653530noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-79075646875320168272010-07-28T05:32:29.256-07:002010-07-28T05:32:29.256-07:00वाह डाक्टर साहेब बढिया जानकारी निकाल लाए हैं।
धन्...वाह डाक्टर साहेब बढिया जानकारी निकाल लाए हैं।<br /><br />धन्यवादब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-21360579643913803412010-07-28T05:13:09.588-07:002010-07-28T05:13:09.588-07:00वाकई चौंकाने वाले हैं ये ऑकड़े।
हमारे साथ्ा साझा ...वाकई चौंकाने वाले हैं ये ऑकड़े।<br />हमारे साथ्ा साझा करने का शुक्रिया।<br />--------<br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">पाँच फन वाला नाग?</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">तरह-तरह के साँप।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-51454099494095563142010-07-28T02:36:24.146-07:002010-07-28T02:36:24.146-07:00@प्रवीण जी निहितार्थों की चर्चा कोई तो शुरू करे अब...@प्रवीण जी निहितार्थों की चर्चा कोई तो शुरू करे अब सारी जिम्मेदारी मेरी ही :) <br />कृपया समय मिले तो मूल स्रोतों /लिकं को भी देखें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-10867943500868302812010-07-28T02:05:40.532-07:002010-07-28T02:05:40.532-07:00तथ्य रोचक हैं पर क्लीनिकल ट्रायल कैसे किये गये हों...तथ्य रोचक हैं पर क्लीनिकल ट्रायल कैसे किये गये होंगे और पैरामीटर कैसे निर्धारित किये गये होंगे? सबसे प्रमुख बात कि क्या सिद्ध करने का प्रयास है और इससे क्या शिक्षा मिलती है?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-72839973712814508912010-07-27T22:56:30.237-07:002010-07-27T22:56:30.237-07:00पोस्ट तो अच्छी है ही, लेकिन मैं सतीश जी के इस जुमल...पोस्ट तो अच्छी है ही, लेकिन मैं सतीश जी के इस जुमले पर लट्टू हुआ जा रहा हूँ कि-<br /><br />“...बशर्ते वह किसी किस्म की चिलगोजई न फाने” :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-91140734226483296552010-07-27T22:43:17.076-07:002010-07-27T22:43:17.076-07:00ज्ञानवर्धक सुन्दर पोस्ट.ज्ञानवर्धक सुन्दर पोस्ट.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-75505244946208708312010-07-27T19:12:34.470-07:002010-07-27T19:12:34.470-07:00भई मुझे तो इस तरह के रीसर्च में कोई दोष नजर नहीं आ...भई मुझे तो इस तरह के रीसर्च में कोई दोष नजर नहीं आता...हर किस्म के रिसर्च चलते रहते हैं....कहीं मुर्गियों पर कहीं गायों पर तो कहीं इंसानी प्रवृत्ति पर। <br /><br /> हाँ....एक तरह की ( कुछ हद तक दिखावटी) मानसिकता जरूर सवाल उठा सकती है कि आखिर इस तरह के रिसर्च की जरूरत क्या है क्या दुनिया में और विषय कम हैं.....तो यहां मेरा मानना है कि जिसके हाथ जैसा विषय लगता है....जैसे संसाधन उपलब्ध हो....जैसे समाज से हो....वहां वैसा रिसर्च चलेगा ही। <br /><br /> अब इस तरह के रिसर्च अफगानिस्तान में तो नहीं किए जा सकते...जाहिर है एक तो पहले से वहां कई दूसरी बातें रास्ता रोकें हैं और रहा पश्चिम.... तो वहां उपलब्ध संसाधन....खुलापन वगैरह इस तरह के रिसर्च को करने में सहायक हैं। <br /><br /> इस तरह के रिसर्च से नाक भौं सिकोड़ना उचित नहीं समझता। काम जीवन भी एक हिस्सा ही है....उस पर बातें करना या लिखना मैं उचित मानता हूँ बशर्ते वह किसी किस्म की चिलगोजई न फाने :)<br /><br /> बढ़िया पोस्ट है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-35794716056073322942010-07-27T18:51:20.431-07:002010-07-27T18:51:20.431-07:00भांति-भांति के शोध और शोधकर्ता ,चारित्रिक पतन करना...भांति-भांति के शोध और शोधकर्ता ,चारित्रिक पतन करना ही ऐसे शोध और लेखनी का उद्देश्य होता है जिससे लोभी-लालची और भ्रष्टाचार तथा सेक्स की दुकान चलती रहे ...honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-50118385625848140232010-07-27T18:39:34.945-07:002010-07-27T18:39:34.945-07:00सेक्सवृत्ति का कम या अधिक होना-दोनों सहज है,उम्र औ...सेक्सवृत्ति का कम या अधिक होना-दोनों सहज है,उम्र और कारण कुछ भी हो।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.com