tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post3727640608169710168..comments2023-11-18T03:53:14.179-08:00Comments on साईब्लाग [sciblog]: कुकडू कूँ खसम और मुर्गी का कुनबा ..शायद अब राज खुल जायArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-15432167527968884792010-07-15T23:33:52.722-07:002010-07-15T23:33:52.722-07:00ओह, तो ये है मिमियाने का राज़।
शुक्रिया।ओह, तो ये है मिमियाने का राज़।<br />शुक्रिया।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-79920554973629639812010-07-15T20:55:56.920-07:002010-07-15T20:55:56.920-07:00सताए हुए प्राणी में कोई लिंग भेद नहीं चलता ...प्रत...सताए हुए प्राणी में कोई लिंग भेद नहीं चलता ...प्रताड़ित स्त्रियाँ हैं तो पुरुष भी हैं ... !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-23802430020652004062010-07-15T18:18:26.729-07:002010-07-15T18:18:26.729-07:00कुछ अवैज्ञानिक बातें:
- संख्या की अधिकता हमेशा श्र...कुछ अवैज्ञानिक बातें:<br />- संख्या की अधिकता हमेशा श्रेष्ठता की परिचायक नहीं होती। <br />- पुरुष पूर्ण होता है - एक्स और वाइ दोनों जो होते हैं।<br />- ऐसा कोई सम्प्रदाय बताइए जिसमें नारियाँ कृष्ण बन कर रहती हों। राधा बने पुरुषों का तो बाकायदा सम्प्रदाय ही है। <br />- प्रभुता पा चुकने की स्थिति में पुरुष में सहिष्णुता अधिक दिखती है। कॉर्पोरेट जगत में ऐसा देखा गया है। <br /><br />बाकी रही बात दबंगई की तो वह किसी में भी हो सकती है। एक दबंग नारी को तो प्रदेश देख ही रहा है। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-57307635276653575982010-07-15T08:58:10.791-07:002010-07-15T08:58:10.791-07:00मुझे तो सिद्धर्थ शंकर जी का कमेन्ट बहुत अच्छा लगा।...मुझे तो सिद्धर्थ शंकर जी का कमेन्ट बहुत अच्छा लगा। हा हा हा। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-43587396851821776382010-07-15T06:21:39.833-07:002010-07-15T06:21:39.833-07:00@ वैसे तो अजित गुप्ता नें ठीक कहा है कि मुर्गा मिम...@ वैसे तो अजित गुप्ता नें ठीक कहा है कि मुर्गा मिमियायें क्यों ? पर कुड्कुडाने से बेहतर है चेंचियाना !<br /><br /><br />@ अरविन्द जी,<br /><br />अव्वल तो ये कि कुदरत (नेचर ) नें अगर लैंगिक निजाम विकसित किया है तो फिर ये क्यों सोचना कि अपनी अपनी जनानी के सामने मुर्गे और मर्द एक जैसे नहीं होंगे ? <br /><br />क्या आपको लगता है कि प्रकृति ने जेंडर डिस्ट्रिब्यूशन में मेल बनाम मेल और फीमेल बनाम फीमेल कोई भेदभाव किया होगा ? अब विज्ञान व्याख्यायें करता रहे ,क्या फर्क पड़ने वाला है ! जिसे निर्धारित करना था उसने निर्धारित कर दिया ! मिमियाना कहो...चेंचियाना कहो आपका हिस्सा !<br /><br />दाता जो है उसका इकबाल बुलंद रहे :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-31423377037870174762010-07-15T05:05:00.844-07:002010-07-15T05:05:00.844-07:00science ke goodh shodhon ko aam aadmee tak le jaan...science ke goodh shodhon ko aam aadmee tak le jaana sachmuch chunautee bharaa kam hai<br />or aap ko is kaam me mahart hasil hai sirDarshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-65362066607087355812010-07-15T04:42:43.308-07:002010-07-15T04:42:43.308-07:00आँखें खोलती पोस्ट। अब अपनी औकात में रहना सीखें ये ...आँखें खोलती पोस्ट। अब अपनी औकात में रहना सीखें ये गुर्राते नर... :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-75957886245564060542010-07-15T04:05:20.448-07:002010-07-15T04:05:20.448-07:00:) अगर किसी मुर्गी ने आप की पोस्ट पढ ली तो मुकदमा ...:) अगर किसी मुर्गी ने आप की पोस्ट पढ ली तो मुकदमा ना कर दे..... वेसे हमारा हाल भी इस बेचारे मुर्गे की तरह है, अगर हमारी बीबी एक बार कहे की बेठ जाओ...... तो हम बिलकुल नही तक नही बेठतेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-34195518407913376052010-07-15T01:45:29.817-07:002010-07-15T01:45:29.817-07:00दिशा न बदल दे आपकी यह पोस्ट।दिशा न बदल दे आपकी यह पोस्ट।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3362795456291072795.post-68586004623701217712010-07-14T20:31:56.811-07:002010-07-14T20:31:56.811-07:00जीन थ्योरी पसन्द आयी। लेकिन आपने बेचारे मुर्गे क...जीन थ्योरी पसन्द आयी। लेकिन आपने बेचारे मुर्गे को भी मिमिया दिया है। उसे तो कुकुडाने दीजिए।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com